फरवरी 2020 मे माननीय प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा चित्रकूट मे केंद्र सरकार के 10000 किसान उत्पादक संगठन (एफ़पीओ) गठन की घोषणा किया गया, और पाँच साल के इस परियोजना के लिए बजट मे रु 6600 करोड़ का प्रावधान किया गया।
कार्यक्रम शुरू हुए 3 वर्ष से अधिक हो गए है, लेकिन किसी को नहीं मालूम की 10000 एफ़पीओ मे से कितने बन गए और उनके हाल क्या है। परियोजना के मार्ग दर्शन और पूरे संचालन / प्रबंधन और निगरानी के लिए एक विदेशी संस्था को राष्ट्रिय परियोजना प्रबंधन एजेंसी (एनपीएमए) के रूप मे चयनित किया गया, और दिसम्बर 2020 से इस एनपीएमए ने अपना कार्य भार संभाला।
जैसे की हर परियोजना की आवश्यकता होती है एक परियोजना कार्यान्वयन प्लान (डीपीआर) की, वैसे ही डीपीआर बनाने की ज़िम्मेदारी इस एनपीएमए को दिया गया। डीपीआर बनाने के अलावा इस संस्था को पूरे परियोजना के लिए एफ़पीओ का एक एकीकृत राष्ट्रिय पोर्टल बनाने की भी ज़िम्मेदारी थी।
इस संस्था ने ना तो डीपीआर बनाया और ना ही एफ़पीओ का पोर्टल बनाया फिर भी इस संस्थान को मार्च 2024 तक रु12.3 करोड़ का भुगतान कर दिया गया, और हर महीने लगभग 30 लाख रुपए का भुगतान किया जा रहा है। एनपीएमए के साथ चार वर्ष का करार किया गया है, और यह करार दिसम्बर 2024 मे समाप्त हो रहा है। अनुबंध के अनुसार इस संस्था को लगभग सत्रह कार्य पूरे करने की ज़िम्मेदारी थी, जिसमे से इस संस्था ने एक भी कार्य पूरे नहीं किए।
डीपीआर और एफ़पीओ पोर्टल परियोजना के लिए अति आवश्यक घटक थे, जिसके बिना दस हजार एफ़पीओ की योजना पूरी तरह चरमरा गई है, लेकिन आश्चर्य की बात है की इसकी चिंता न कृषि विभाग को है, न एसएफ़एसी को है, न नाबार्ड को किसी को नहीं है। इस बारे मे कोई बात करने को तैयार नहीं है की परियोजना का डीपीआर कहाँ है या एफ़पीओ पोर्टल क्यों नहीं बन पाया, और फिर बिना डीपीआर और एफ़पीओ पोर्टल के काम कैसे चल रहा है?
भोपाल के एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शाजी जॉन ने एसएफ़एसी और नाबार्ड को लगभग 450 आरटीआई भेजा है, जिसमे से किसी भी आरटीआई का इन संस्थाओं ने सीधे जवाब नहीं दिया। शाजी जॉन ने 20 आरटीआई मे प्राप्त जानकारी और अन्य सुबूतो के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार किया है जो की मनोज आहूजा, सचिव, केंद्रीय कृषि मंत्रालय को भेजा है। इसमे इन्होने ने सचिव महोदय से ये आग्रह किया है की वो एसएफ़एसी को निर्देशित करें की अनुबंध के शर्तें पूरी ना करने के कारण एनपीएमए के खिलाफ वसूली की कार्यवाही एवं अन्य वैधानिक कार्यवाही प्रारम्भ करें।