शहर को अपना वर्टिकल मास्टर प्लान भी चाहिए

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अतुल शेठ

इंदौर शहर का मास्टर प्लान(Master Plan) बनाने की प्रक्रिया चालू है। और आज तक,और इसके पहले भी जीतने मास्टर प्लान बने हैं,वह हम कह सकते हैं कि केवल होरिजेंटल मास्टर(Horizontal Master) प्लान बने है। शहर का कोइ वर्टिकल प्लान कोई बना ही नहीं है। ना ही इस पर ध्यान दिया गया है, ना ही सोचा गया। आज शहर में जो समस्या आ रही है और आने वाले समय में जो स्थितियां बनेगी, वर्टिकल प्लान ना होने की वजह से वह अकल्पनीय है। इसकी वजह से इंदौर शहर के अधिकतर तालाबों की आव खत्म हो गई है, वही अभी अभी हमने नाला टेपिंग के नाम पर देखा है कि,किस तरीके से ड्रेनेज लाइन को तोड़ा, मोडा गया और उल्टी दिशा में ब..हाने की कोशिश की गई है।

कई कॉलोनियों में बरसात के अंदर पानी भर जाता है और निकलने में घंटों लगते हैं।वर्टिकल प्लान शहर का जो होता है,उसमें जो ड्रेनेज लाइन होती है,बरसात के पानी का बहाव होता हे। उसकी निकास की व्यवस्था जहां प्राकृतिक भाव होता है उसी दिशा को ध्यान में रखकर उस का प्रावधान होता है।किस तरीके से शहर का वर्टिकल रुप हे, उसी हिसाब से प्लान बनना चाहिए। किस भूभाग का पानी किस भुभाग से होकर गुजरेगा और कैसे इसका प्रावधान,ड्रेनेज पूरे क्षेत्र की कैसे बहेगी,इसके बारे में भी निश्चित गाइडलाइन, मास्टर प्लान में होना चाहिए।

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आज आमतौर पर जो पाया जा रहा है शहर में ओर इसके आस पास जितनी भी कॉलोनी बनी है, किसी में भी इस वर्टिकल प्लान का ध्यान नहीं रखा गया है। और हर एक ने अपने आप को एक इकाई मानकर अपना खुद का विचार करा है। और उसके वहां से पानी कहां जाएगा या उसके वहां जो पानी आ रहा है उसका क्या होगा ? केवल विभाग ने साइन सिक्के ओर व्यवहार करके दे दिया। उसके बारे में कोई भी विचार किसी भी विभाग ने नहीं किया है। चाहे वह टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट हो, नगर निगम हो, या व्यक्तिगत कॉलोनी हो या इंदौर विकास प्राधिकरण हो या हाउसिंग बोर्ड हो।एसी ही कार्य के कारण, बिलावली और शीरपुर की आव बंद हो गई।

पिपलियापाला की आव बंद हो गई। पिपल्याहाना तालाब पर कॉलोनी स्किम 140 कट गई। यही नहीं इंदौर की कई कॉलोनियों में घरों के अंदर नीचे से पानी आता है, क्योंकि वह प्राकृतिक बरसाती बहाव के ऊपर कॉलोनी कट गई। इंदौर के बहुत सी कॉलोनी में, किसी कोने में बरसात का पानी जमा हो जाता है और कई घंटों तक या दिनों तक निकलता नहीं है। मुझे लगता है कि यह उचित समय है, जब शहर को अपने वर्टिकल प्लान के बारे में भी, दिशा निर्देश सुनिश्चित करना चाहिए। और मास्टर प्लान में एक पूरा अध्याय इसके ऊपर होना चाहिए।

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अन्यथा आने वाले 20 से 25 सालों में हम देखेंगे कि,इंदौर की और शहर के बाहर जो क्षेत्र विकसित हो रहे हैं वहां ड्रेनेज के कारण और बरसात के पानी के कारण अकल्पनीय स्थिति बनेगी। और जो होगी उसमें हम अपने आप को असहाय पाएंगे। यह उचित समय है और शायद अंतिम समय है जब हम अगले 25 साल की बात कर रहे हैं, तो शहर के मास्टर प्लान के होरिजेंटल प्लान के साथ में वर्टिकल प्लान भी बनाया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि ये कौन सा विभाग कैसे लागू करेगा। उसकी व्यवस्था के बारे में भी इसके अंदर पूरा चैप्टर होना चाहिए अन्यथा शहर अपने आप को मुश्किल,असहाय और अकल्पनीय स्थितियो मे अपने आप को पाएगा ।
अतुल शेठ।