नहीं रहे टीम मोदी के ‘चाणक्य’, अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय का निधन

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प्रमुख अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष, बिबेक देबरॉय, 1 नवंबर को 69 वर्ष की आयु में निधन हो गए। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, उनका निधन दिल्ली के AIIMS में आंतों में रुकावट के कारण हुआ।


प्रधानमंत्री का शोक संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिबेक देबरॉय के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें “एक महान विद्वान” बताया। मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि देबरॉय न केवल अर्थशास्त्र में, बल्कि इतिहास, संस्कृति, राजनीति और अध्यात्म जैसे कई क्षेत्रों में विशेषज्ञ थे। उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी।


शैक्षिक और पेशेवर पृष्ठभूमि

देबरॉय नीति आयोग के सदस्य थे और 2007 से सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। वे प्रेसीडेंसी कॉलेज, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्होंने गरीबी के नए अनुमानों की वकालत की और तेंदुलकर समिति के पुराने अनुमानों पर सवाल उठाए।

पद्म श्री पुरस्कार

देबरॉय को पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इससे पहले, वे पुणे में गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के कुलाधिपति भी रह चुके थे।

केंद्रीय मंत्री का सम्मान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बिबेक देबरॉय को “उत्कृष्ट शिक्षाविद” बताया। उन्होंने कहा कि देबरॉय का निधन दुखद है और उनके नीतिगत मार्गदर्शन तथा भारत के विकास में योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। प्रधान ने यह भी कहा कि उनके लेखन ने लाखों लोगों को समृद्ध और प्रबुद्ध किया, और वे अर्थशास्त्र, शिक्षा और साहित्य की दुनिया में एक स्थायी विरासत छोड़ गए हैं।

इस प्रकार, बिबेक देबरॉय का निधन न केवल उनके परिवार और दोस्तों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा नुकसान है। ईश्वर उन्हें शांति प्रदान करें।