शिक्षकों को जल्द मिलेगा क्रमोन्नति का लाभ, सामने आई ये बड़ी अपडेट

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शिक्षा सेवा में नियुक्त कर्मचारियों  की सेवा अवधि के साथ ही पदउन्नति व् अन्य मांगों को लेकर शिक्षक कर्मियों की मांग तेज हो गई है। शिक्षकों के क्रमोन्नति सहित वरिष्ठता  को लेकर लगातार संवर्ग द्वारा आंदोलन में कदम उठाने की चेतावनी दी जा रही है। वहीं शासकीय शिक्षक संगठन के प्रांत अध्यक्ष राकेश दुबे ने संवर्ग की सेवा अवधि की गणना नियुक्ति दिवसीय किए जाने की मांग की है। इसके अलावा कई अन्य मांगों को राज्य शासन के सामने रखा जाएगा।

वहीँ शासकीय शिक्षक संगठन ने मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन से अपील की है कि हमारे संवर्ग की उक्त माँगों का स्थायी निराकरण किया जाए ताकि यह विभाग आंदोलन मुक्त हो सके।शासकीय शिक्षक संगठन का मानना है कि शिक्षाकर्मी, गुरूजी,संविदा शाला शिक्षक से अध्यापक के पद पर संविलयन कर मध्यप्रदेश में कर्मी कल्चर एवं संविदा नियुक्ति पर रोक मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार ने ही लगाई थी और कर्मी कल्चर खत्म किया था। वहीँ वर्तमान में अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त किए जाने के बाद इस संवर्ग की न केवल वरिष्ठतता प्रभावित हुई है बल्कि बहुत सी नई दिक्कतें भी तैयार हो गई है, जो आए दिन इस संवर्ग को आंदोलनात्मक कदम उठाने को प्रेरित कर रही हैं।

आरोप लगाते हुए शासकीय शिक्षक संगठन मध्य प्रदेश के प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे का कहना है कि संगठन का मुख्य  उददेश्य ही शिक्षा, शिक्षार्थी, शिक्षालय और शिक्षक का सर्वांगीण विकास है एवं संगठन शिक्षा विभाग को आंदोलन मुक्त रखने का पक्षधर है। परंतु इसके लिए शासन को भी संवर्ग के हितों का ध्यान रखना होगा।

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संगठन के कार्य.प्रांताध्यक्ष उपेंद्र कौशल ने जानकारी दी कि संगठन ने अपनी छह सूत्रीय मांगों के निराकरण हेतु मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के समक्ष निवेदन पत्र भी प्रस्तुत किया था परंतु इसका कोई हल नहीं निकला। इधर संगठन के प्रांतीय महासचिव जितेंद्र शाक्य एवं महामंत्री अशोक मालवीय ने जानकारी दी है कि संगठन, संवर्ग की छः सूत्रीय मांगों के स्थायी निराकरण को लेकर 23 अगस्त को पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेगा।

सेवावधि की गणना हमारे प्रथम नियुक्ति दिनाँक से हो , वर्ष 2006 और उसके बाद संविदा शाला शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए ऐसे कर्मचारी (जो 12 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं) को तत्काल प्रथम क्रमोन्नति प्रदान की जाए वर्ष 1998 में नियुक्त कर्मचारियों को द्वितीय क्रमोन्नति प्रदान की जाए। अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण बिना शर्त 30 दिनों में निराकृत होने का प्रावधान बने। मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना पुनः बहाल कर हमें भी उसका लाभ दिया जाए। ग्रेज्युटी की सुविधा का पूर्ण लाभ प्रदान किया जाए। “पद स्वीकृति नही मिली है” का हवाला देकर मध्यप्रदेश के हजारों नवनियुक्त माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों को मासिक वेतन से तथा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त हुए शिक्षकों को सातवें वेतनमान से वंचित रखा जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, इसका तत्काल निराकरण किया जाए।