भारत की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने आज 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस बंद करने का आदेश दे दिया है। इन सभी मामलों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थीं। लेकिन नवनियुक्त CJI जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि इतना समय गुजरने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। वहीं, एक अन्य मामले में कोर्ट ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को राहत के लिए अपील करने की इजाजत दे दी।
चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुआई सर्वोच्च न्यान्यालय मे तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। इस बेंच में जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पारदीवाला शामिल हैं। बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गुजरात दंगों से जुड़े 9 केस की जांच के लिए SIT गठित कर चुका है। इनमें से 8 केस का ट्रायल पूरा हो चुका है। नारोदा गांव से जुड़े मामले की सुनवाई अभी जारी है।
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किस केस को अपील के लिए मिली इजाजत
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीस्ता सीतलवाड़ की वकील अपर्णा भट ने कहा कि उनकी क्लाइंट कस्टडी में है, इसलिए वे उनसे बात नहीं कर पा रही हैं। इस पर कोर्ट ने सीतलवाड़ को सक्षम अधिकारियों के सामने राहत के लिए आवेदन करने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा, ‘सीतलवाड़ की तरफ से जब भी आवेदन आएगा, उस पर कानून के मुताबिक विचार किया जाएगा।’ इसके साथ ही कोर्ट ने इस केस का भी निपटारा कर दिया।