श्रीलंका वित्त मंत्रालय का दावा, ऋण न चुका पाने की स्थिति से बाहर निकला देश

Abhishek singh
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श्रीलंका ने शनिवार को यह दावा किया कि उसने ऋण चूक (डिफॉल्ट) से बाहर निकलने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। यह घोषणा उस समय की गई जब ‘फिच रेटिंग्स’ ने श्रीलंका की क्रेडिट रेटिंग को ‘सीसीसी’ से बढ़ाकर ‘सीसीसी प्लस’ कर दिया। इसका मतलब है कि द्वीप राष्ट्र ने कर्ज चुकाने की स्थिति में सुधार किया है और अब उसके ऋण चूक होने का खतरा नहीं है। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी महिंदा सिरिवर्धना ने कहा कि शुक्रवार को श्रीलंका ने आधिकारिक तौर पर ऋण चूक से बाहर निकलने का ऐलान किया, जो उनकी आर्थिक सुधार प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण कदम है।

2022 में डिफॉल्ट करने वाला पहला द्वीप राष्ट्र बना श्रीलंका

श्रीलंका ने 2022 में पहली बार आधिकारिक रूप से यह घोषणा की थी कि वह अपने ऋण चुकाने में असमर्थ है, जिसके बाद देश में गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। भोजन, ईंधन और गैस की भारी कमी हो गई, जिससे लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इन प्रदर्शनों के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा। इसके बाद रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहायता प्राप्त करने के लिए बातचीत शुरू की। मार्च 2023 में श्रीलंका को बेलआउट पैकेज मिला।

आईएमएफ की सहायता से टल सकता था श्रीलंका का आर्थिक संकट

सिरिवर्धना ने बताया कि यह एक मानव निर्मित संकट था, जिसका कारण देश की नीतियां और गलत निर्णय थे, और इसे सही समय पर आईएमएफ की सहायता से रोका जा सकता था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन लोग अभी भी उस संकट के प्रभावों को महसूस कर रहे हैं।

आईएमएफ से समझौते के बाद श्रीलंका में आर्थिक सुधार की दिशा

श्रीलंका ने आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज प्राप्त किया था। आईएमएफ ने हाल ही में अपनी तीसरी समीक्षा की, जिसमें श्रीलंका ने सफलता प्राप्त की। इसके अतिरिक्त, श्रीलंका ने 14.2 अरब डॉलर के ऋण पुनर्गठन समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जो आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने के लिए आवश्यक था।