मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में सोया इण्डस्ट्री को स्थापित करने के लिए प्रयास बढ़ाए जाएंगे। किसानों के हित में सोया इण्डस्ट्रीज को फिर से खड़ा करना है। सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि, उत्पादन की बिक्री और प्र-संस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों को लाभ दिलवाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। प्रयाय यह करेंगे कि किसानों के परिश्रम का उन्हें भरपूर मूल्य मिले, इसलिए निर्यात के क्षेत्र में भी प्रयास बढ़ाए जाएंगे। वर्तमान में सोया ऑयल का आयात बढ़ने से राष्ट्र की पूँजी का व्यय हो रहा है। इस नाते सोया प्र-संस्करण इकाइयों की शुरूआत मायने रखती है। किसानों से कच्चा माल लेकर उनके प्रोडक्ट का वेल्यू एडिशन कर उन्हें लाभ दिलवाने के लिए ऐसी इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज इंदौर संभाग के धार जिले की बदनावर तहसील के ग्राम खैरवास में करीब 360 करोड़ की लागत के सोया प्लांट के भूमि-पूजन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। आईबी ग्रुप के इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वर्चुअली भागीदारी की। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने मौके पर प्लांट का भूमि-पूजन किया। लगभग 500 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देने वाले इस संयंत्र का कार्य अगले 18 माह में पूर्ण होगा। करीब 3000 मेट्रिक टन की क्षमता से उत्पादन होगा। स्थानीय किसानों को सोयाबीन फसल के पर्याप्त दाम मिलेंगे।
किसानों की आय दुगनी करने का संकल्प
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों के परिश्रम से मध्यप्रदेश को सात बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है। अब हम कृषि से खाद्य प्र-संस्करण की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। मध्यप्रदेश में निवेश के अनुकूल वातावरण है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। उनके संकल्प को पूरा करने के लिए ऐसे प्लांट सहायक होंगे जो किसानों को लाभान्वित करेंगे। प्रदेश में उत्पादन वृद्धि, लागत घटाने, उचित मूल्य दिलवाने की व्यवस्था के साथ शून्य प्रतिशत पर ऋण जैसी सुविधाओं को उपलब्ध करवाया जा रहा है। पूर्व में भावांतर योजना के माध्यम से भी किसानों को बाजार से फसल के मूल्य के अंतर की राशि उपलब्ध करवाई गई। सोया प्र-संस्करण इकाई के लिए मध्यप्रदेश का चयन उचित भी है, क्योंकि उपभोक्ताओं को खाद्य तेल भी कम कीमत पर मिलेगा और सोयाबीन उत्पादक कृषक भी लाभान्वित होंगे। इस तरह की इकाइयों की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि रोजगार सृजन के लिए भी नए निवेश आवश्यक हैं। मध्यप्रदेश में उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए समय-समय पर नीतियों में भी संशोधन किया गया है।
पीला सोना कहलाता है सोयाबीन
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में 11 जलवायु क्षेत्र हैं। मध्यप्रदेश गेहूँ के उत्पादन और गुणवत्ता के मामले में विश्व विख्यात है। गेहूँ उत्पादन में हमने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। इसी तरह दलहन, तिलहन उत्पादन में हम आगे आ गए हैं। यही नहीं फलों, सब्जियों और औषधीय पौधों के उत्पादन में भी मध्यप्रदेश प्रगति कर रहा है। एक समय सोयाबीन में भी मध्यप्रदेश नंबर एक पर था। इसे पीला सोना कहते हैं। किसानों की आर्थिक हालत बदलने का काम किया था, लेकिन फसलों की क्षति भी काफी होती थी। इस संबंध में कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का सहयोग प्राप्त किया जाएगा। प्रदेश में तीन शासकीय और छह निजी विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान का कार्य कर रहे हैं।
सिंचाई ने पलटी है काया, बदनावर को मिलेगा नर्मदा जल का लाभ
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पहले 6 से 7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती थी। गत 18 वर्ष में इसकी वृद्धि 43 लाख हेक्टेयर तक हो गई है। हमारा लक्ष्य 65 लाख हेक्टेयर का है। शासकीय और निजी साधनों से करीब एक करोड़ आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। भरपूर सिंचाई से ही मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में देश में अग्रणी प्रांतों में शामिल हुआ है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि इस संयंत्र की स्थापना से विशेष रूप से बदनावर क्षेत्र के किसान लाभान्वित होंगे। यहाँ सिंचाई की सुविधाएँ बढ़ाई जाएंगी। पर्याप्त नर्मदा जल का लाभ भी बदनावर को मिले इसके प्रयास किए जाएंगे।
कोरोना काल में भी आया निवेश
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि निवेश के लिए मध्यप्रदेश सबसे अनुकूल राज्य है। यहाँ औद्योगिक शांति के साथ पर्याप्त भूमि की उपलब्धता भी है। प्रदेश के नागरिक सहयोगी स्वभाव के हैं। यहाँ निवेशकों के लिए हितैषी उद्योग प्रोत्साहन नीति है। यही वजह है कि वित्त वर्ष 2021-22 के प्रारंभिक 9 महीनों में 27 हजार 856 करोड़ रूपए का नवीन निवेश आया है। करीब 70 हजार लोगों के लिये प्रत्यक्ष रोजगार की राह खुली है।
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री श्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए औद्योगिक इकाइयों की स्थापना और सोयाबीन जैसे उत्पादन को उपयोग में लाने के लिए प्र-संस्करण इकाई की शुरूआत हो रही है। सोयाबीन के रकबे में वृद्धि होगी साथ ही स्थानीय किसान लाभान्वित होंगे। कार्यक्रम में श्री राजेश अग्रवाल, श्री खेमराज पाटीदार और अन्य जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे।