आज से लगभग सवा पांच हजार वर्ष पहले आज ही की तिथि भाद्रपद अष्टमी पर मध्य रात्रि बारह बजे मथुरा के क्रूर राजा कंस के कारावास में माता देवकी के गर्भ से जग के पालनहार भगवान श्रीकृष्णा का अवतरण हुआ था। आज के दिन को हमारे सत्य सनातन धर्म में जन्माष्टमी महापर्व के रूप में मनाया जाता है। देशभर के सभी मंदिरों में इस दौरान भक्तों की विशेष भीड़ होती है, साथ ही देश के घर-घर में इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का यह अवतरण दिवस पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
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माता देवकी ने दिया जन्म मैया यशोदा को मिली बधाइयां
कंस के कारावास में माता देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण के अवतरित होने से पहले माता देवकी और पिता वसुदेव की बेड़ियां स्वतः ही कट गईं और कारावास के ताले अपने आप खुल गए इसके साथ ही सभी पहरेदार गहरी निद्रा में समा गए । कन्हैया के अवतरण के बाद पिता वसुदेव एक टोकनी में बालक कन्हैया को लेकर जमुना को पार करने को चलते हैं , यमुना मैया भी ख़ुशी से अपना विस्तार करतीं हैं जिससे वसुदेव को नदी पार करने में कठिनाई होती है। इस पर नवजात कन्हैया अपना एक चरण यमुना जल में स्पर्श कराते हैं, जिसके बाद यमुना मैया शांत होकर वसुदेव जी को मार्ग प्रदान करती हैं। यमुना पार करके वसुदेव जी बालक कृष्णा को गोकुल गाँव में मैया यशोदा के पास छोड़ आते हैं और उनकी पुत्री योगमाया को अपने साथ ले आते हैं। सुबह यशोदा माता को लल्ला के जन्म की बधाई गोकुल वासियों से प्राप्त होती है और महा उत्सव गोकुल में मनाया जाता है।
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आज होगी ब्रज मंडल सहित देशभर के मंदिरों में धूम
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर ब्रज मंडल के मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना सहित पुरे देशभर के सभी मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस को महापर्व श्रीकृष्णा जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाएगा। देश विदेश से असंख्य भक्त इस दौरान इन सभी मंदिरों और अपने अपने घरों से भगवान श्रीकृष्ण की पावन स्तुति कर के अपना जीवन सार्थक करेंगे।