नीतीश कुमार को झटका! पटना HC ने बिहार सरकार की नौकरियों और शिक्षा में 65% आरक्षण बढ़ाने के फैसले को किया रद्द

Author Picture
By Srashti BisenPublished On: June 20, 2024

पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 50% से बढ़ाकर 65% कर दिया गया था।

न्यायालय ने आरक्षण वृद्धि की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर फैसला सुनाया, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि राज्य द्वारा आरक्षण में की गई वृद्धि उसके विधायी अधिकार से परे है।

‘बिहार सरकार ने दो आरक्षण विधेयकों के लिए एक राजपत्र अधिसूचना जारी की थी’

पिछले नवंबर में, बिहार सरकार ने दो आरक्षण विधेयकों के लिए एक राजपत्र अधिसूचना जारी की…जिसमे बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी के लिए) संशोधन विधेयक और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण संशोधन विधेयक, 2023 शामिल हैं।

‘विधेयकों का उद्देश्य आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 65% करना था’

इन विधेयकों का उद्देश्य आरक्षण को 50% से बढ़ाकर 65% करना था। इस प्रकार, राज्य में कुल आरक्षण 75% तक पहुँच जाता हैं, जिसमें आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिए अतिरिक्त 10% शामिल होता हैं।

राज्य के जाति सर्वेक्षण के परिणाम?

राज्य के जाति सर्वेक्षण के परिणामों के बाद , सरकार ने अनुसूचित जाति (SC) के लिए कोटा बढ़ाकर 20%, अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 2%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 25% और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 18% कर दिया गया है।

जाति आधारित सर्वेक्षण 2022-23 के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बड़े हिस्से को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि वे अवसर और स्थिति में समानता के संविधान में निहित उद्देश्य को पूरा कर सकें।