शिवाजी महाराज ने असंगठित, आत्मस्वाभिमान विस्मृत, निर्जीव से हो चुके समाज को फिर चैतन्य किया -दत्तात्रेय होसबोले

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भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे अपराजिता योद्धा थे, जिन्होंने  “हिन्दवी-स्वराज्य” की पुनर्स्थापना कर स्वदेशी व स्वधर्म आधारित लोक कल्याणकारी शासन तंत्र का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया । स्वतंत्रता प्राप्ति के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का संदेश वर्तमान में भी अतिप्रासंगिक व अनुकरणीय प्रतीत होता है। इसी विषय – “शिवराज्याभिषेक का संदेश” पर अपना वक्तव्य देते हुए होसबाले ने कहा कि जिस तरह श्रीराम ने धरती को राक्षसहीन करने का संकल्प लिया, श्रीकृष्ण जी ने धर्म संस्थापना का कार्य किया, उसी तरह शिवाजी महाराज हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के लिए अवतारी पुरुष थे।

छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की घटना ऐतिहासिक घटना थी, मोहम्मद कासिम से प्रारंभ हुए विदेशी आक्रमण सतत चलते रहें, पृथ्वीराज चौहान ने उन आक्रमणों का प्रतिरोध किया, किंतु पृथ्वीराज चौहान के पश्चात भारतीयों को लगने लगा कि वे केवल पराधीन होने के लिए ही है, सम्पूर्ण समाज में निराशा थी। ऐसे में मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवबा, रोहिडेश्वर के शिव मंदिर में अपनी अंगुली के रक्त से भगवान का अभिषेक कर “हिंदवी स्वराज” की स्थापना का संकल्प लिया।

उपर्युक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबोले ने डॉ हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा आयोजित चिंतन यज्ञ में”शिवराज्याभिषेक का संदेश” विषय पर अपने व्याख्यान में कहीं। होसबोले जी ने अपने व्याख्यान में शिवाजी के जीवन के विभिन्न घटनाओं – पहलुओं को विश्लेषणात्मक रूप से बताया। औरंगजेब द्वारा मंदिरो का विध्वंस, सामान्य नागरिकों को पीड़ा पहुंचाने पर भी शिवाजी उद्वेलित नहीं होते बल्कि औरंगजेब के अपने पालें में आने की प्रतीक्षा करतें हैं।

शिवाजी महाराज को लेखकों ने भगवान विष्णु की तरह जन प्रतिपालक कहा है।शिवाजी महाराज के मन में सम्राट बनने की इच्छा नहीं थी, किंतु विदेशी सत्ता को समाप्त करने के लिए वे राजा हुए, उन्हे छत्रपति की उपाधि दी गई, क्योंकि वे सम्पूर्ण समाज के लिए छत्र के समान है।शिवाजी महाराज ने जल सिंचन की व्यवस्था, नौकायन, भूमि की नाप, मुद्रा, कर, मंत्रिमंडल जैसी आदर्श व्यवस्था अपने शासनकाल में प्रारंभ की।

कार्यक्रम के प्रारंभ में मालवा के बलिदानी शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया, इस फिल्म में देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वालें महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के जीवन परिचय का चित्रण किया गया।कार्यक्रम का आरंभ मुख्य वक्ता, मुख्य अतिथि तथा अध्यक्ष द्वारा दीप प्रज्वलित कर हुआ।
विषय प्रस्तावना रखते हुए विनय पिंगले ने बताया कि अपने स्व का गौरव विस्मृत होने से राष्ट्र की प्रगति अवरुद्ध हो जाती है । हमारा प्रयास है कि भारत का गौरव उसके यथार्थ रूप में नागरिकों के समक्ष आए ।

कार्यक्रम के अध्यक्ष उद्योगपति व समाजसेवी श्री प्रकाश केमकर ने कहा छत्रपति शिवाजी पर अनेक ग्रंथ लिखे गये जो आज भी प्रेरणास्पद हैं। मेडीकेप्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो दिलीप पटनायक की विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रही । उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज का चिंतन वर्तमान में भी प्रासंगिक है। कार्यक्रम मे डा हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष श्री ईश्वर जी हिन्दुजा की उपस्थिति रही ।कार्यक्रम के अंत मे सुजीत सिंहल ने समिति की ओर से आभार व्यक्त किया। एकल गीत की प्रस्तुति अमित आलेकर की रही ।कार्यक्रम का संचालन अर्चना खेर ने किया । श्रुति केलकर द्वारा  वन्दे मातरम् के सामुहिक गान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ ।