सत्ता में वापसी के लिए शिव और नाथ का मास्टर प्लान, बोले – अबकी बार 150

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विपिन नीमा

इंदौर। बिजली, पानी , सड़क , बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दे छोड़कर अगर नए मुद्दों पर चर्चा करें तो इस वक्त भाजपा की तुलना में कांग्रेस के मुद्दे मजबूत तथा जनता को इन्प्रेस करने वाले है। इसी साल नवम्बर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने समीकरण का खेल कर दिया है। 2018 में जीत हासिल करने वाली कांग्रेस ने इस बार 150 सीट जीतने का प्लान तैयार किया है वहीं भाजपा के हाईकमान को भरोसा दिलाया है की वह इस बार वह 150 सीट आसानी से जीत जाएंगी। वर्तमान में कांग्रेस उन सीटों पर खास नजर बनाए हुए है जहां पार्टी कई चुनावों में पराजित हो रही है। उधर भाजपा का फोकस इन सीटों पर ज्यादा है जहां वो 2018 में 103 सीटों पर पराजित होकर सरकार गंवाई थी। फिलहाल दोनों पार्टियां एक दूसरे पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास कर रही है ताकि आगे जाकर इसका फायदा मिल सके।

भाजपा के मुद्दों पऱ सबसे भारी है 500 रु का गैस सिलेंडर

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री तथा पीसीसी चीफ कमलनाथ अब पूरी तरह एक्शन के मूड में आ गए है। पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा किये गये 500 रु में गैस सिलेडंर, महिलाओ को 1500 रुपये महीना देने, पेशन बहाली के साथ ही 100 युनिट बिजली माफ और 200 युनिट बिजली का बिल हाफ जैसै वादे इस समय भाजपा पर काफी भारी पड़ रहे है। प्रदेश की जनता को ये मुद्दे इसलिए प्रभावित कर रहे है की ये चारों मुद्दे सीधे सीधे जनता से जुड़े हुए है। इसमें गैस सिलेंडर इसके जवाब में भाजपा, प्रदेश की महिलाओं को एक हजार रु प्रतिमाह देने वाली लाडली बहना योजना पर आकर अटक गई है। फिलहाल भाजपा के पास कांग्रेस के मुद्दों का कोई तोड़ नहीं है। हालांकि पिछले दिनों भाजपा की कार्यसमिति की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह बोले थे मेरे तरकश में बहुत से तीर है जो जीत के लिए पर्याप्त है।

सत्ता में वापसी के लिए शिव और नाथ बोले – अबकी बार 150

इसी साल नवम्बर माह में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने “अबकी बार 150 पार” का नारा रखा है । दोनों सत्ता
भाजपा की तिकड़ी सीएम शिवराजसिंह चौहान,अध्यक्ष वी डी शर्मा तथा संगठन मंत्री हितानंद शर्मा पार्टी को 150 सीटों से ज्यादा लाने का प्लान तैयार कर रहे है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में पार्टी हाईकमान को भरोसा दिलाया है की इस बार को डेढ़ सौ से ज्यादा सीटें मिलेगी। कांग्रेस ने भी डेढ़ सौ सीट जीतने का दावा किया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद पीसीसी चीफ कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की जोड़ी पार्टी को सत्ता वापसी के रास्ते पर ले जा रही है। कमलनाथ ने भरोसे जताया है की कांग्रेस 150 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करेंगी।

सरकार बनाने के लिए पराजित सीटों पर जरुरी है फोकस

कांग्रेस – सरकार बनाने के लिए दोनों दलों ने उन सीटों पर ज्यादा जोर दे रहे है जहां उनकी पार्टी कमजोर है। दरअसल, कमलनाथ उन सीटों पर खास नजर बनाए हुए है, जहां कांग्रेस कई चुनावों में पराजित हो रही है। प्रदेश में ऐसी 55 सीटें है। इन सीटों को लेकर कमलनाथ ने कहा है की जिन सीटों पर कांग्रेस मजबूत है। वहां भले बाद में फोकस किया जाए लेकिन कमजोर सीटों को पहले ध्यान में रखा जाए। कमजोर सीटों को मजबूत करने की जिम्मेदारी दिग्विजयसिंह के पास है। वे इन सीटों को जीताने के लिए नेताओं से चर्चा कर नई रणनीति बनाकर काम रहे है। भाजपा – बीते विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा सीटों की संख्या में पिछड़ गई थी । वहीं इस बार हारी हुई 103 सीटों को जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं करीबी से जीती सीटों पर भी मंथन करेगी।