Sharad Purnima: हिंदू धर्म में सभी त्योहारों को काफी महत्व दिया जाता है। साल भर में पड़ने वाले 12 पूर्णिमा में सबसे अधिक खास अश्विन माह की पूर्णिमा को माना जाता है। इसे कई नामों जैसे – रास पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन खीर का विशेष महत्व बतया गया है। मान्यता है कि भगवान को भोग लगाकर खीर को रात में चांद की रोशनी में रखी जाती है। लेकिन आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है, इस बार पूर्णिमा पर किस समय खीर का रात में रखें। आइए जानते है इसके बारे में –
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है इस दिन का शास्त्रों में खास महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आकाश से अमृत की बारिश होती है इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन लोग खीर बनाते है और रात खुले आसमान में छोड़ देते है और अगले दिन इसे प्रसाद के रूप में किया जाता है। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी में रखी खीर का विशेष महत्व बताया गया है। लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण रात 1:05 से 2:23 पर समाप्त होगा। इसके बाद आप स्नान करके खीर बनाकर रात में रख सकते है।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए लोग इस दिन माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए पूछ अर्चना विधि विधान से करते है। नारद पुराण में बताया गया है कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर वर और अभय का वरदान लेकर पूरी पृथ्वी का भ्रमण करती है। जो लोग इस दिन रात में जागते है, उन पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।
चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल शुरू हो रहा है। आज दोपहर 3 बजे से सूतक लग जाएगा और इस समय में पूजा करने की मनाही होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्ध्य देने के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। ग्रहण का सूतक लगने से पहले पूजा कर लें। ग्रहण समाप्ति के बाद चंद्रमा को अर्घ्य भी दिया जा सकता है। इस दिन दान करने से आपके सभी कष्टों का निवारण होगा।