फ़रवरी 2020 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चित्रकूट मे केंद्र सरकार के 10000 किसान उत्पादक संघठन (एफ़पीओ) गठन की घोषणा किया गया, और पाँच साल के इस परियोजना के लिए बजट मे रु 6800 करोड़ का प्रावधान किया गया।
परियोजना के मार्ग दर्शन और पूरे संचालन / प्रबंधन और निगरानी के लिए एक विदेशी संस्था को राष्ट्रिय परियोजना प्रबंधन एजेंसी (एनपीएमए) के रूप मे चयनित किया गया, और दिसम्बर 2020 से इस एनपीएमए ने अपना कार्य भार संभाला। एनपीएमए के कार्यों की निगरानी और समीक्षा की ज़िम्मेदारी एसएफ़एसी को दिया गया, और एनपीएमए को मासिक आधार पर कार्य अनुसार भुगतान की ज़िम्मेदारी एसएफ़एसी को दिया गया था।
मार्च 2024 तक एफ़पीओ क्षेत्र मे कार्य करने वाले अधिकतर लोगो (एफ़पीओ, सीबीबीओ आदि) को, यहाँ तक की राज्यों मे बने एसएलसीसी एवं डीएमसी को नहीं पता था की एनपीएमए कौन है, और उनसे संपर्क कहाँ और कैसे किया जा सकता है। दिनांक 24-04-2024 को अतिरिक्त सचिव, कृषि मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और जिलो को एक पत्र भेजा गया और इस भेजे गए पत्र मे एनपीएमए के टीम लीडर, उनका मोबाइल नंबर और ईमेल की जानकारी संभवतः पहली बार सब हितधारको को दिया गया।
पूरे एफ़पीओ सैक्टर के लिए एनपीएमए अभी भी एक रहस्यमय इकाई है, जिसका टीम लीडर फोन नहीं उठता है, ईमेल और व्हात्सप्प का जवाब नहीं देता है। भोपाल मे बसे एक पूर्व बैंकर एवं एफ़पीओ विशेषज्ञ शाजी जॉन ने एनपीएमए कौन है, और कहाँ है की जानकारी प्राप्त करना शुरू किया तो इंटरनेट पर सिर्फ इतनी जानकारी मिली की मे॰ इर्नस्ट अँड यंग एलएलपी को एनपीएमए का कार्यभार एसएफ़एसी द्वारा दिसम्बर 2020 मे सौंपा गया।
शाजी जॉन ने आरटीआई के माध्यम से एसएफ़एसी और एनपीएमए के बीच हुए कांट्रैक्ट एग्रीमंट प्राप्त किया, और उस पर आधारित और कई आरटीआई एसएफ़एसी को भेजे। इन्ही आरटीआई से यह पता चला की एनपीएमए को वर्ष 2020-21 मे शून्य, वर्ष 2021-22 मे रु 4.73 करोड़, वर्ष 2022-23 मे रु 3.87 करोड़ और वर्ष 2023-24 मे रु 3.74 करोड़ का भुगतान हुआ है।
एग्रीमंट के अनुसार एनपीएमए ने दिसम्बर कार्यभार संभाला लेकिन वर्ष 2020-21 मे एनपीएमए को कोई भुगतान नहीं हुआ, जो की कुछ अजीब लगा। शाजी जॉन ने फिर एक आरटीआई लगाकर यह जानने की कोशिश किया की क्या चार महीने मे एनपीएमए को कोई भुगतान नहीं हुआ – इस पर एसएफ़एसी का यह जवाब प्राप्त हुआ की उन्हे पता नहीं के दिसम्बर 2020 – मार्च 2021 का कोई भुगतान एनपीएमए को किया गया है या नहीं।
एनपीएमए को तीन वर्ष मे लगभग 12.4 करोड़ का भुगतान हुआ है, लेकिन यह किस लिए हुआ है, और इसके एवज मे एनपीएमए ने क्या काम किया इसकी जानकारी एसएफ़एसी के पास नहीं है। एनपीएमए को क्या काम करना था, कब करना था, काम किया है या नहीं की कोई जानकारी एसएफ़एसी के पास नहीं है, यहाँ तक की अनिवार्य रूप से भेजे जाने वाले मासिक प्रगति प्रतिवेदन तक यह एनपीएमए से बिना प्राप्त किए हर महीने लगभग 30 लाख का भुगतान करते जा रहे है।
ये सब जानकारी शाजी जॉन ने आरटीआई के माध्यम से प्राप्त किया है। एनपीएमए और उनसे जुड़ा रहस्य यहीं पर समाप्त नहीं होता है। एसएफ़एसी और एनपीएमए के कांट्रैक्ट एग्रीमंट के अनुसार, एनपीएमए द्वारा बिल प्रस्तुत करने पर उसका भुगतान एसएफ़एसी द्वारा किया जाएगा, और अकाउंटिंग मे इसको एसएफ़एसी के खर्चे मे दर्शाया जाएगा।
इसका सीधा सा अर्थ यह है की एनपीएमए को भुगतान किया गया राशि एसएफ़एसी के ऑडिट रिपोर्ट मे एसएफ़एसी के खर्चे मे दिखेगा एसएफ़एसी के वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report) 2021-22 जो एसएफ़एसी के वैबसाइट पर उपलब्ध है मे एसएफ़एसी का ओडिटेड वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report) भी उपलब्ध है। इसमे एसएफ़एसी का वर्ष 2021-22 का वार्षिक आय – व्यय लेखा (Income Expenses Statement) भी मौजूद है। इसी आय व्यय लेखा के शैड्यूल 13 मे एसएफ़एसी का वर्ष 2021-22 मे कुल खर्चा रु 1.42 करोड़ बताया गया है।
शाजी जॉन ने आरटीआई लगाकर यह पूंछा की एनपीएमए को वर्ष 2021-22 मे रु4.73 करोड़ का भुगतान क्या एसएफ़एसी ने ही किया है, और यदि हाँ वो एसएफ़एसी के वार्षिक प्रतिवेदन मे क्यों नहीं आया है (आय व्यय लेखा के अनुसार एसएफ़एसी का खर्चा रु 1.42 करोड़ था)। एसएफ़एसी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है की एनपीएमए को भुगतान किए गए रु 4.73 करोड़, एसएफ़एसी के कुल व्यय 1. 42 करोड़ मे कैसे समायोजित किया जा सकता है?
एनपीएमए को अभी तक रु12.4 करोड़ का भुगतान तो हुआ है, और यह बात एसएफ़एसी कह रहा है। लेकिन ये खर्चे एसएफ़एसी के लेखा पुस्तकों मे नजर नहीं आ रहा है, और ना ही एसएफ़एसी कोई संतोषप्रद जवाब दे रही है। यह भुगतान हुआ तो किस खाते से हुआ, और यह एसएफ़एसी के खाते मे क्यों दर्शाया नहीं जा रहा है, एक सोचनीय प्रश्न है।