मध्यप्रदेश में 1 जुलाई से खुल सकते है स्कूल, जानें क्या है प्लान..

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भोपाल : देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के साथ कम हो रहे केस के बीच अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बीच मध्यप्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसके मुताबिक मध्यप्रदेश में 1 जुलाई से स्कूल खोलने की बात सामने आ रही है।

कोरोना कर्फ्यू जैसा हो सकता है फार्मूला

रिपोर्ट्स के मुताबिक एक जुलाई से पहली कक्षा से हायर सेकंडरी तक स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है। सरकार ऐसा फार्मूला तलाश रही है, जो बच्चों को संक्रमण से बचाते हुए स्कूल खोलने में मददगार हो। इसके लिए कोरोना कर्फ्यूू का फार्मूला अपनाया जा सकता है। यानी जिस जिले, शहर या गांव में कोरोना संक्रमण होगा वहां स्कूल बंद रहें और बाकी जगह खोले जाएं। ऐसे ही शहर के जिस इलाके में संक्रमण होगा, वहां के स्कूल बंद रहें।

यह भी तय होगा कि किस उम्र के बच्चों को कितने समय के लिए स्कूल बुलाया जाए। हालांकि आपदा प्रबंधन समितियों के सुझाव से ही ऐसा हो पाएगा। साथ ही, कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि केजी से हायर सेकंडरी तक प्रदेश के सरकारी व निजी स्कूलों में डेढ़ करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं।

प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं। सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। स्कूल शिक्षा विभाग का मानना है कि बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है इसलिए स्कूल खोलना जरूरी हो गया है, पर उनकी सुरक्षा पर भी पूरा ध्यान दिया जाना है। कक्षाओं में सुरक्षित शारीरिक दूरी बनाए रखना बड़ी चुनौती है। सरकार को एक जुलाई से स्कूल खोलना है तो अगले आठ दिन में निर्णय लेना होगा। इसे देखते हुए विभाग स्तर पर ताबड़तोड़ तैयारी चल रही है। शिक्षा क्षेत्र के जानकारों से लगातार बात की जा रही है।

ये हो सकता है फार्मूला

1. नौवीं से हायर सेकंडरी : किसी कक्षा के किसी सेक्शन में 40 विद्यार्थी हैं, तो 20 बच्चे एक दिन स्कूल आएंगे और शेष 20 बच्चे अगले दिन।

2. छठवीं से आठवीं : बच्चों को हफ्ते में एक या दो दिन बुलाया जा सकता है। वह भी सीमित संख्या में। इसमें स्कूल की क्षमता का भी ध्यान रखा जाएगा।

3. पहली से पांचवीं : फिलहाल ऑनलाइन ही पढ़ाया जा सकता है।

4. केजी और नर्सरी : बच्चों को फिलहाल नहीं बुलाया जाएगा।

समितियों का सुझाव महत्वपूर्ण
स्कूल खोलने का निर्णय लेने में भी सरकार जनभागीदारी को ही महत्व देगी। सरकार जिला, विकास खंड और ग्राम स्तर पर गठित आपदा प्रबंधन समितियों से सलाह लेगी। इसके अलावा बाल विशेषज्ञ (इस क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं, बाल रोग विशेषज्ञ और शिक्षाविद्) की सलाह ली जाएगी।

वहीं दूसरी ओर बताया जा रहा कोशिश है कि पहली से आठवीं के बच्चों को हफ्ते में एक या दो दिन ही बुलाएं और नौवीं से 12वीं के बच्चों को नियमित न बुलाएं।