रीवा दुष्कर्म कांड आरोपी सीताराम की रिमांड खत्म, संजय त्रिपाठी ने खुद को बताया निर्दोष

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रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा में दुष्कर्म के आरोपी महंत सीताराम और के सहयोगी संजय त्रिपाठी अंशुल मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और इन्हें अदालत में पेश किया गया. बता दें कि दो आरोपियों को गिरफ्तार कर अन्य दो की तलाश अभी भी जारी है.

वीवीआईपी राजनिवास में 28 मार्च को कथावाचक महंत सीताराम में एक नाबालिग से दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. आरोपी सीताराम दास उर्फ सीताराम त्रिपाठी उर्फ समर्थ को पुलिस ने सिंगरौली जिले से गिरफ्तार किया था. इस दौरान वह हुलिया बदलने के लिए पैठन बस स्टैंड के पास एक नाई की दुकान में गया था.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कड़ी चेतावनी के बाद पुलिस ने साइबर सेल की मदद से सीताराम को पकड़ा. सीताराम त्रिपाठी सहित विनोद पांडे धीरेंद्र मिश्रा और मोनू मिश्रा पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कर धारा 342, 504, 323, 328 376 (D) 506, 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है.

बता दें कि महंत सीताराम त्रिपाठी उर्फ समर्थ राम जानकी मंदिर बहराइच का गद्दी प्रमुख है, इसके अलावा व्यास वशिष्ठ पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि वेदांती महाराज श्रीधाम अयोध्या का भतीजा है. इसी वजह से वह हाईप्रोफाइल लोगों से जुड़ा हुआ है और इसके संबंध राजनेताओं से लेकर अफसरों तक है.

पूरे मामले में रीवा के कथित डॉन संजय त्रिपाठी का नाम भी सामने आया है इस पर हत्या के चार मुकदमे पहले से दर्ज है, अड़ी डालने का आरोप भी इस पर लगा हुआ है. स्वास्थ्य कंडीशन को देखते हुए हाईकोर्ट में इसे जमानत दे दी अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष है और खुद को मुख्यमंत्री का खास आदमी बताता है. रैंगाव उपचुनाव में इसे अधिकतर मंत्री बिसाहूलाल के साथ देखा गया, वहीं कमलनाथ सरकार के समय में यह पीसी शर्मा का करीब था. अपने रीवा दौरे के दौरान पीसी कई बार इसके घर पर रुके भी यह रिश्ते में श्रीनिवास तिवारी का नाती लगता है. दुष्कर्म के मामले में फंसे महंत को संरक्षण देने और उसे फरार कराने में इसकी भूमिका सामने आई है. रीवा पुलिस की कस्टडी में आए संजय त्रिपाठी का कहना है कि मैं निर्दोष हूं और मुझे फंसाया जा रहा है पुलिस कस्टडी में ले जाए जाने के दौरान वह चीख चीख कर खुद को निर्दोष साबित करता रहा.

मामले में विनोद पांडे का नाम भी सामने आए हैं जो कि शार्प शूटर है. हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती जैसे 40 से ज्यादा मुकदमे इस पर चल रहे हैं, एनएसए की कार्रवाई 20 पर हो चुकी है. राजनिवास में जिस जगह यह घटना हुई वह कमरा इसी के नाम से बुक किया गया था. लड़की को इतने ही बुलाया था और कार में बैठा कर उसे वहां से रवाना करने में भी इसी का हाथ बताया जा रहा है. पुलिस इस बात से पर्दा उठाने में नाकामयाब रही है कि एक वीवीआईपी सर्किट हाउस में किसी अपराधी के नाम पर कमरा कैसे आवंटित कर दिया गया क्योंकि एक बड़ा सवाल है.

जानकारी के मुताबिक लड़की कुछ व्यक्तिगत समस्या से परेशान और उसमें विनोद पांडे से मदद मांगी, मदद के बहाने पांडे उसे महंत त्रिपाठी के पास ले गया जहां त्रिपाठी और 2 अन्य लोगों ने शराब पी और लड़की को भी जबरदस्ती शराब पिलाई. इसके बाद पांडे समेत सभी लोग कमरे से बाहर आ गए और बाहर से ताला लगा दिया और त्रिपाठी ने लड़की के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. बाद में पांडे को गेट खोलने के लिए बुलाया और लड़की को इस घटना के बारे में किसी को भी ना बोलने के लिए कहा. घटना की जानकारी जब लड़की ने अपने परिवार वालों को दी और पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई पुलिस ने आरोपी पर कई धाराओं में मामला दर्ज किया. पीड़िता के मुताबिक कमरे में 5 लोग थे और सभी ने शराब पी रखी थी उसने बचने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके साथ मारपीट की गई और किसी को घटना के बारे में बताने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी गई थी.

पूरे मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है वहीं अन्य दो की तलाश की जा रही है, मामले की जांच अभी भी जारी है.