नमस्कार इंदौर, गणतंत्र भारत के इस महापर्व 74वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। आइए इस गणतंत्र दिवस पर हम हमारे संविधान के प्रति नतमस्तक रहें। वह संविधान जिसने देश के नागरिकों को उनके अधिकार प्रदत्त किए हैं, जिनके बलबूते पर आज हम सभी हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए माननीय उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय में जा सकते हैं। जहाँ हमारे अधिकारों की न सिर्फ रक्षा की जाती है अपितु माननीय न्यायालय द्वारा इस बात को सुनिश्चित भी किया जाता है कि किसी अन्य व्यक्ति के अधिकारों का भी हनन न हो।
गणतंत्र भारत के हमारे संविधान ने हमें केवल अधिकार ही नही दिए हैं अपितु कुछ कर्तव्य भी सौंपे हैं, जिनके माध्यम से हमसे इस बात की अपेक्षा की जाती है कि हम देश तथा स्वयं के विकास हेतु कटिबद्ध रहें तथा हमारे कार्य अंधविश्वासों से मुक्त होकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से युक्त हों।
भारतीय संविधान का निर्माण तथा इसका लागू होना, हमारे निति-निर्माताओं की अथक मेहनत और दूरदर्शिता का ही परिणाम है जो उन्होंने इतना सशक्त एवं लचीला संविधान निर्मित किया, जिसे वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया जा सके। इस संविधान संशोधन की शक्ति का दुरूपयोग न हो सके इस हेतु इसमें कुछ विशेष उपबंध भी किए गए हैं, ताकि लोकतंत्र में अंतिम सत्ता का स्त्रोत जनता ही हो।
इन विशेष उपबंधों ने ही हमारे संविधान को गतिमान बनाकर समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के लिए भी न्याय सुनिश्चित करते हुए उसके मूलाधिकारों की रक्षा की है तथा उसे समता का अधिकार प्रदान कर किसी भी प्रकार के भेदभावों से रक्षा की है।
यह हमारे संविधान का विशेष गुण ही है जो यह नित नये प्रगतिमान विचारों को आत्मसात करते हुए रूढ़िगत विचारों का विरोध करता है ताकि गणतंत्र सुरक्षित रहे, ताकि देश का अंतिम व्यक्ति सुरक्षित रहे। आजादी के समय से लेकर वर्तमान समय तक गणतंत्र को प्रभावी एवं सशक्त बनाने हेतु सरकार, संविधान तथा न्यायालय ने समन्वित प्रयास किए हैं।
देश के नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के निमित्त हमारी गणतांत्रिक सरकार ने सदैव आम नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखा है, अतएव यह हम सभी भारतीयों का दायित्व तथा कर्तव्य है कि देश के विकास के लिए हम हमारे कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक रहें। इन कर्तव्यों तथा अधिकारों के प्रति जागरूक रहकर ही सच्चे अर्थों में देश को विश्वगुरु बनाने की राह पर अग्रसर हुआ जा सकता है।
साथियों! इस गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर इस वर्ष यह विचित्र संयोग है कि बसंत पंचमी का पर्व या शारदोत्सव भी इसी दिन है। अतः मेरा आप सभी से निवेदन है कि जहाँ कहीं भी आप झंडावंदन करें, वहाँ पर बुद्धि, ज्ञान एवं कला की देवी माँ सरस्वती की पूजा-आराधना भी अवश्य करें। माँ सरस्वती की पूजा-आराधना का यह पर्व भी हम गणतंत्र दिवस के उत्साह एवं उर्जा के साथ मनाएं, तभी जाकर हमारा यह गणतंत्र दिवस सार्थक सिद्ध होगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस गणतंत्र दिवस के शुभावसर पर आप अपने अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होंगे ताकि सही मायनों में गणतंत्र दिवस अपनी सार्थकता सिद्ध कर सके।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।
जयहिंद!
आपका मित्र
पुष्यमित्र भार्गव
महापौर,इंदौर