आज का श्रृंगार श्री ललिताजी की ओर से किया जाता है, पहनाएं जाते है हरे रंग के मलमल वस्त्र

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By Suruchi ChircteyPublished On: July 17, 2022

व्रज – श्रावण कृष्ण चतुर्थी

विशेष – आज का श्रृंगार श्री ललिताजी की भाव से होता है. श्रीजी को नियम के हरी मलमल का पिछोड़ा व श्रीमस्तक पर जमाव का कतरा धराया जाता है. अनोसर में श्रीमस्तक पर धरायी पाग के ऊपर की सुनहरी खिड़की बड़ी कर के धरायी जाती है. संध्या-आरती में कमलचौंक में श्री मदनमोहन जी चांदी के हिंडोलने में झूलते हैं. उनके सभी वस्त्र श्रृंगार श्रीजी के जैसे ही होते हैं. आज श्री बालकृष्णलाल जी भी उनकी गोदी में विराजित हो झूलते हैं.

आज का श्रृंगार श्री ललिताजी की ओर से किया जाता है, पहनाएं जाते है हरे रंग के मलमल वस्त्र

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राजभोग दर्शन –

कीर्तन – (राग : मल्हार)

व्रज पर नीकी आजघटा l
नेन्ही नेन्ही बुंद सुहावनी लागत चमकत बीजछटा ll 1 ll
गरजत गगन मृदंग बजावत नाचत मोर नटा l
तैसेई सुर गावत आतक पिक प्रगट्यो है मदन भटा ll 2 ll
सब मिलि भेट देत नंदलाल हि बैठे ऊंची अटा l
‘कुंभनदास’ गिरिधरन लाल सिर कसुम्भी पीत पटा ll 3 ll

साज – श्रीजी में आज हरे रंग की मलमल की सुनहरी ज़री की तुईलैस की पठानी किनारी से सुसज्जित पिछवाई धरायी जाती है. गादी और तकिया के ऊपर सफेद बिछावट की जाती है. स्वर्ण की रत्नजड़ित चरणचौकी के ऊपर हरी मखमल मढ़ी हुई होती है.

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वस्त्र – श्रीजी को आज हरे मलमल का सुनहरी पठानी किनारी से सुसज्जित पिछोड़ा धराया जाता है. ठाड़े वस्त्र श्याम रंग के होते हैं.

श्रृंगार – श्रीजी को आज छोटा (कमर तक) का हल्का श्रृंगार धराया जाता है. माणक तथा सोने के सर्वआभरण धराये जाते हैं. श्रीमस्तक पर हरे रंग की सुनहरी जरी की बाहर की खिड़की की छज्जेदार पाग के ऊपर सिरपैंच, सुनहरी लूम तथा जमाव का कतरा सुनहरी तु्र्री एवं बायीं ओर शीशफूल धराया जाता है. श्रीकर्ण में चार कर्णफूल धराये जाते हैं. कमल माला धरायी जाती है. सफेद एवं पीले पुष्पों की सुन्दर दो मालाजी धरायी जाती हैं. श्रीहस्त में कमलछड़ी, लाल मीना के वेणुजी एवं दो वैत्रजी धराये जाते हैं. पट हरा व गोटी लाल मीना की आती है. अनोसर में पाग पे से सुनहरी खिड़की बड़ी करके धरायी जाती हैं.