Tithi: आज है माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी/पञ्चमी तिथि, इन बातों का रखे ख़ास ध्यान

Author Picture
By Mohit DevkarPublished On: February 5, 2022

आज शनिवार, माघ शुक्ल पक्ष चतुर्थी/पञ्चमी तिथि (Tithi) है।
आज उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)

-आज वसंत पञ्चमी है।
-श्रीपञ्चमी, महा सरस्वती देवी का अवतरण दिवस है।
-आज से मदनोत्सव प्रारम्भ।
-ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः यह बीज मन्त्र है।
-मां सरस्वती की उत्पत्ति सत्वगुण से हुई है। इनकी आराधना एवं पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों में अधिकांश श्वेत वर्ण की होती है।
-जैसे – दूध, दही, मक्खन, धान का लावा, सफेद तिल का लड्डू, गन्ना एवं गन्ने का रस, पका हुआ गुड़, मधु, श्वेत चन्दन, श्वेत पुष्प, श्वेत परिधान (रेशमी या सूती), श्वेत अलंकार (चांदी से निर्मित), खोवे का श्वेत मिष्ठान, अदरक, मूली, शर्करा, श्वेत धान के अक्षत, तण्डुल, शुक्ल मोदक, सैन्धवयुक्त हविष्यान्न, यवचूर्ण या गोधूम चूर्ण का संयुक्त पिष्टक, पके हुए केले की फली का पिष्टक, नारियल, नारियल का जल, बदरीफल, ऋतु फल – पुष्प आदि।
– विश्व विजय नामक सरस्वती कवच सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण ने गोलोक धाम में ब्रह्मा जी से कहा था।
-ब्रह्माजी ने गन्धमादन पर्वत पर भृगु ऋषि को इसे दिया था।
-इस शक्तिशाली विश्व विजय सरस्वती कवच से अनेक ऋषियों ने सिद्धि पाई थी।
-भगवती सरस्वती के व्रत – उपासकों में कुछ विशेष नियम निर्दिष्ट हैं। इनका पालन आवश्यक होता है। इससे मां शारदा अत्यधिक प्रसन्न होती हैं।
-कुछ विशिष्ट नियम – वेद, पुराण, रामायण, गीता आदि सद् ग्रन्थों का आदर करना चाहिए और उन्हें देवी की वाङ्मयी मूर्ति मानते हुए पवित्र स्थान पर रखना चाहिए।
-अपवित्र अवस्था में स्पर्श नहीं करना चाहिए तथा अनादर से फेंकना नहीं चाहिए। काष्ट फलक आदि पर ही रखना चाहिए।
-नियम पूर्वक प्रात:काल उठकर देवी सरस्वती का ध्यान करना चाहिए। विद्यार्थियों को तो विशेष रूप से इस सारस्वत व्रत का अवश्य ही पालन करना चाहिए।