Indore News : इंदौर से सम्मेद शिखर जी के लिए स्पेशल ट्रेन शुरू

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By Shivani RathorePublished On: July 22, 2021

इंदौर (Indore News) : गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर वर्ष इंदौर से दिगम्बर जैन समाज युवा प्रकोष्ठ इंदौर द्वारा जैन समाज के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखर जी की यात्रा निकाली जाती है। उस यात्रा की तैयारी शुरू कर दी गई है, साथ ही यात्रियों के रजिष्ट्रेशन शुरू हो गए है।
जानकारी देते हुए यात्रा के मुख्य संयोजक राहुल सेठी, पीयूष रावका और संयोजक सुयश जैन ने बताया की झारखंड राज्य में स्थित सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र शिखर जी की यह यात्रा होगी। इसमें रेल विभाग के आइआरसीटीसी विभाग से स्पेशल ट्रेन की बुकिंग की जा रही है। इसके तहत 21 जनवरी 2022 को यात्रा इंदौर से निकलेगी, जो की 23 जनवरी को सम्मेद शिखर जी पहुँचेगी।


इस दिन यात्रीगण पर्वत के नीचे स्थित सभी जैन मंदिर के दर्शन करेंगे। इसके पश्चात 24 जनवरी को पर्वत की वंदना की जाएगी। 25 को सम्मेद शिखर जी विधान का संगीतमय विधान होगा। 26 जनवरी को ध्वजारोहण करने के साथ ही गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी। फिर इसी दिन दोपहर में सभी यात्री इंदौर के लिए ट्रेन से रवाना हो जायेंगे। 27 जनवरी को देर रात यात्रा का समापन होगा। संयोजक पीयूष रावका और सुयश जैन ने बताया की इस सबसे बड़ी यात्रा के लिए युवा प्रकोष्ठ ने रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिए है। इसके लिए क्षेत्रीय संयोजक की टीम गठित की गई है। इसमें राजकुमार काला, कल्पना जैन, यश जैन , पूजा बड़जात्या और भावना चाँदीवाल के द्वारा सभी यात्रियों का रजिस्ट्रेशन मोबाइल नंबर 9827799449 और 9827270823 पर किया जा रहा है।

27 किलोमीटर की वंदना और कोविड के नियम का पालन
मुख्य संयोजक पीयूष रावका और पारस जैन ने बताया की शिखर जी पर्वत की वंदना के लिए यात्रियों को 27 किलोमीटर चलना पड़ता है। इसमें 9 किलोमीटर ऊपर चड़ाई, 9 किलोमीटर पर्वत पर घूम कर टोंक के दर्शन और उसके बाद में 9 किलोमीटर नीचे उतरना होता है। यात्रा के लिए नियम निर्धारित किया गया है की सभी को कोविड के नियम का पालन करना अनिवार्य रहेगा।

जैन धर्म में ये है मान्यता
महिला प्रकोष्ठ की महामंत्री मेघना जैन, कार्याध्यक्ष पूजा कासलीवाल और कोषाध्यक्ष मीनल पाटनी ने बताया की जैन धर्म में सम्मेद शिखर जी की वंदना का बहुत महत्व है। इस पर्वत से 20 तीर्थंकर मोक्ष गए है। इसी तरह अनंतानंत मुनिराज मोक्ष गए है। ऐसा कहा जाता है की जो कोई भी मानव इस पर्वत की भाव सहित वंदना करते है उन्हें नरक गति नहीं होती है।