इस बार 9 नहीं पूरे 10 दिन चलेंगे माँ दुर्गा के पर्व, यहां एक क्लिक में जानें नवरात्रि के सभी दिन का पंचांग और योग

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By Swati BisenPublished On: September 16, 2025
Navratri 2025

आमतौर पर नवरात्रि नौ दिनों की होती है, लेकिन इस वर्ष पंचांग में बना अद्भुत तिथिगत संयोग इसे दस दिनों का बना रहा है। दरअसल, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि इस बार दो बार पड़ रही है, पहली बार 25 सितंबर को और दूसरी बार 26 सितंबर को। इसी कारण नवरात्रि का यह पर्व परंपरागत नौ की जगह पूरे दस दिन तक चलेगा।

घटस्थापना और आरंभिक अनुष्ठान


नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025 को प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना से होगी। इस दिन माँ शैलपुत्री की पूजा विशेष महत्व रखती है। सुबह 06:09 से 08:06 तक का समय घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। यदि यह मुहूर्त छूट जाए, तो अभिजीत या मध्याह्न का समय भी उपयोगी रहेगा।

प्रतिदिन की देवी और विशेष योग

हर दिन देवी के अलग-अलग रूपों की आराधना होगी और विशेष नक्षत्र-योग पूजा को फलदायी बनाएँगे।

  • 23 सितंबर (द्वितीया): माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना, तप और संयम पर बल।
  • 24 सितंबर (तृतीया): माँ चंद्रघंटा का पूजन, साहस और संतुलन का प्रतीक।
  • 25-26 सितंबर (चतुर्थी दोहराव): माँ कुष्मांडा और माँ स्कन्दमाता की साधना, सृजनात्मक ऊर्जा व मातृत्व का भाव। यही तिथि वृद्धि नवरात्रि को दस दिन का बना रही है।
  • 27 सितंबर (पंचमी): माँ कात्यायनी की आराधना, दृढ़ता और कर्मयोग का दिन।
  • 28 सितंबर (षष्ठी): माँ कालरात्रि की पूजा, भय और अज्ञान से मुक्ति का प्रतीक।
  • 29 सितंबर (सप्तमी): माँ महागौरी की उपासना, शुद्धि और सौभाग्य का दिन।
  • 30 सितंबर (महाअष्टमी): माँ सिद्धिदात्री का पूजन, संधि हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व।
  • 1 अक्टूबर (नवमी): नवरात्रि का समापन, कन्या पूजन और सिद्धि प्राप्ति के लिए शुभ।

विजयादशमी का पर्व

नवरात्रि समाप्ति के अगले दिन, यानी 2 अक्टूबर 2025, विजयादशमी का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इस दिन रावण-दहन और शोभायात्राओं का आयोजन देशभर में परंपरागत रूप से होगा।

विशेष शुभ योग और महत्व

इस बार के दस दिवसीय नवरात्रि में कई खास योग बन रहे हैं—

  • विष्कम्भ योग (25-26 सितंबर) : संरक्षा और हवन हेतु उपयोगी।
  • प्रीति योग (26-27 सितंबर) : संबंधों और सामंजस्य के लिए अनुकूल।
  • आयुष्मान योग (27-29 सितंबर) : स्वास्थ्य और दीर्घायु का संकेत।
  • सौभाग्य योग (29-30 सितंबर) : विवाह और कन्या पूजन के लिए शुभ।
  • शोभना योग (30 सितंबर) : महाअष्टमी की पूजा और हवन के लिए श्रेष्ठ।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।