बेलपत्र से मिलती है शिव कृपा, लेकिन सावन में इस दिन भूलकर भी न करें तोड़ाई!

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By Kumari SakshiPublished On: July 21, 2025
सावन में बेलपत्र इस दिन भूलकर भी न करें तोड़ाई

सावन का महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे खास समय माना जाता है. इस पावन माह में शिवभक्त व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव की कृपा पाने की कामना करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बेलपत्र चढ़ाना जितना पुण्यकारी है, उतनी ही गलती से इसका तोड़ना कुछ विशेष दिनों पर अशुभ भी माना जाता है?

क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र?
शिवपुराण के अनुसार, बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से सभी प्रकार के दोष शांत होते हैं, विशेषकर पितृ दोष, कालसर्प दोष और ग्रहों के कुप्रभाव भी दूर हो सकते हैं. बेलपत्र त्रिदेवों का भी प्रतीक है — इसके तीन पत्ते ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं.

इन तिथियों पर भूलकर भी न तोड़ें बेलपत्र
हालांकि, सावन में रोजाना बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन कुछ खास तिथियां ऐसी हैं जब बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना गया है. अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी, एकादशी, सोमवार के दिन सुबह 4 बजे के बाद इन तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना शास्त्रों में वर्जित माना गया है क्योंकि इन दिनों वृक्षों में देवता और पितृगणों का वास माना जाता है. इन दिनों तोड़ने से पूजा का फल घट जाता है या उल्टा असर हो सकता है.

बेलपत्र तोड़ते समय ध्यान रखने योग्य बातें
बेलपत्र को नाखूनों से नहीं तोड़ना चाहिए, इससे अशुद्धि मानी जाती है.

पत्ते में छेद नहीं होना चाहिए, ऐसा बेलपत्र भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए.

एक बार चढ़ाया गया बेलपत्र फिर से धोकर दोबारा चढ़ाया जा सकता है, ऐसा करने से पुनः पुण्य मिलता है.

बेलपत्र चढ़ाते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र या “बिल्वपत्रं समर्पयामि” बोलना चाहिए.