4 Types of Tulsi: भारतीय आंगनों में लगी तुलसी को साधारण पौधा नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम माना जाता है। इसे देवी लक्ष्मी का प्रिय और भगवान विष्णु को अर्पित पौधा कहा जाता है। इसी वजह से रोजाना तुलसी की पूजा घर के माहौल को शुद्ध और शुभ ऊर्जाओं से भर देती है।
तुलसी और सेहत का रिश्ता
तुलसी की महक जितनी अनोखी है, उसके औषधीय गुण भी उतने ही खास हैं। आयुर्वेद में इसे “जड़ी-बूटियों की रानी” कहा जाता है क्योंकि यह शरीर को बीमारियों से बचाती है। तनाव कम करने से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तक, तुलसी का उपयोग हर किसी के लिए फायदेमंद है। शोधों में पाया गया है कि तुलसी डायबिटीज, हृदय रोग, सर्दी-खांसी और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायक है।
तुलसी की चार मुख्य किस्में
भारत में तुलसी की चार प्रमुख प्रजातियां सबसे ज्यादा पवित्र और लोकप्रिय मानी जाती हैं:
- राम तुलसी
- श्याम तुलसी
- वन तुलसी
- कपूर तुलसी
- इसके अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया की देवना तुलसी (थाई बेसिल) भी स्वाद और औषधीय महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
आइए जानते हैं हर किस्म का महत्व
राम तुलसी : रोग प्रतिरोधक क्षमता की रक्षक
हरी पत्तियों वाली राम तुलसी की महक मीठी और सुखद होती है। यह खासतौर पर सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार में राहत देती है। इसके नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। यही वजह है कि आयुर्वेद में इसे बेहद पवित्र और औषधीय तुलसी माना गया है।
श्याम तुलसी : त्वचा और गले की बीमारियों में लाभकारी
श्याम तुलसी, जिसे कृष्णा तुलसी भी कहते हैं, बैंगनी रंग की पत्तियों वाली होती है। इसकी सुगंध तेज होती है और यह गले के संक्रमण, त्वचा रोग और सूजन को दूर करने में मदद करती है। इसका गर्म प्रभाव शरीर को ऊर्जा और ताकत देता है।
वन तुलसी : हिमालय की औषधि
वन तुलसी को जंगली तुलसी भी कहते हैं। यह हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। आयुर्वेदिक टॉनिक में इसका इस्तेमाल शरीर की थकान मिटाने और जीवनशक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है।
कपूर तुलसी : प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर
कपूर तुलसी अपनी तीखी खुशबू और औषधीय प्रभाव के लिए विशेष मानी जाती है। इसकी सुगंध से मच्छर व कीट दूर रहते हैं, इसलिए इसे प्राकृतिक मच्छर भगाने वाला पौधा कहा जाता है, जो घर के वातावरण को शुद्ध और सुरक्षित बनाए रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह हवा को शुद्ध करती है और फेफड़ों के लिए लाभकारी होती है।
देवना या थाई तुलसी : स्वाद और औषधि का मेल
दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाने वाली देवना तुलसी खासतौर पर व्यंजनों में इस्तेमाल होती है। थाई करी, वियतनामी और ताइवानी खाने का स्वाद इसी से खास बनता है। औषधीय रूप से यह कान दर्द में राहत देती है और इसे अमेरिकन बेसिल भी कहा जाता है।
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