इन नियमों को ध्यान में रख कर करें पूजा-पाठ, मिलेगा अत्यधिक फल

Author Picture
By Pinal PatidarPublished On: September 23, 2021

पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि इन नियमों को ध्यान में रखा जाये तो उसी पूजा पाठ का हम अत्यधिक फल प्राप्त कर सकते हैं.वे नियम कुछ इस प्रकार हैं

◆ मंदिर में दर्शनों के लिए सुबह ग्यारह बजे से पहले और शाम को चार बजे के बाद मंदिर जाना चाहिए।

◆ सूर्य, गणेश,दुर्गा,शिव एवं विष्णु ये पांच देव कहलाते हैं. इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है।

◆ गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।

◆ दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।

◆ सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।

◆ तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोडना चाहिए. जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं।

◆रविवार,एकादशी,द्वादशी ,संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।

◆ दूर्वा( एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए।

◆ केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए।

◆ कमल का फूल पाँच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

◆ बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

◆ तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

◆ तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए।

◆ दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक जलाते हैं वो रोगी होते हैं।

◆ प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा में अपने दोष,दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी।

◆ देवी देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए. सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म बेला में प्रथम पूजन और आरती होनी चाहिए।प्रात:9 से 10 बजे तक दिवितीय पूजन और आरती होनी चाहिए,मध्याह्र में तीसरा पूजन और आरती,फिर शयन करा देना चाहिए शाम को चार से पांच बजे तक चौथा पूजन और आरती होना चाहिए,रात्रि में 8 से 9 बजे तक पाँचवाँ पूजन और आरती,फिर शयन करा देना चाहिए।