Mahalaxmi Rajyog 2025 : ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक और सबसे तीव्र गति से चलने वाला ग्रह माना गया है। यह ग्रह लगभग हर ढाई दिन में अपनी स्थिति बदलता है और विभिन्न राशियों के साथ मिलकर विशेष योगों की रचना करता है। 24 सितंबर को चंद्रमा ने तुला राशि में गोचर किया है, जहां पहले से ही साहस, ऊर्जा और पराक्रम के प्रतीक मंगल विराजमान हैं।
इन दोनों ग्रहों की युति से “महालक्ष्मी राजयोग” का निर्माण हुआ है, जो 26 सितंबर तक प्रभावी रहेगा। इसके बाद चंद्रमा वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ज्योतिष में इस योग को अत्यंत शुभ, लाभकारी और जीवन में सुख-समृद्धि लाने वाला माना गया है।
इन राशियों को होगा फायदा
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए यह समय बेहद फलदायक सिद्ध हो सकता है। मंगल और चंद्रमा की युति से बना महालक्ष्मी योग इन लोगों को करियर में ऊँचाइयों तक पहुंचा सकता है। अविवाहितों को विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं, जबकि व्यापारियों को अप्रत्याशित मुनाफा मिलने के प्रबल योग बन रहे हैं। इस दौरान पारिवारिक जीवन भी सुखद रहेगा और समाज में मान-सम्मान में वृद्धि होगी। आत्मविश्वास, साहस और पराक्रम बढ़ेगा, जिससे सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होगी। सेहत भी बेहतर बनी रहेगी और वैवाहिक जीवन में संतुलन देखने को मिलेगा।
कन्या राशि
महालक्ष्मी योग कन्या राशि के जातकों के लिए भी बेहद शुभ संकेत लेकर आया है। किस्मत का साथ मिलेगा और लंबे समय से अटके कार्य पूर्ण होंगे। जो धन लंबे समय से फंसा हुआ था, वह वापस मिलने की संभावना है। आर्थिक स्थिति में स्पष्ट सुधार होगा। नौकरी में प्रमोशन या नई जिम्मेदारियाँ मिलने की संभावना है। जो लोग विवाह की प्रतीक्षा कर रहे हैं, उन्हें उचित प्रस्ताव मिल सकते हैं और लव मैरिज के योग भी बन सकते हैं। वाणी की मधुरता कार्यक्षेत्र में आपके पक्ष में माहौल बनाएगी।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए यह योग विशेष रूप से आर्थिक और मानसिक रूप से संतुलन प्रदान करने वाला है। रियल एस्टेट, जमीन-जायदाद, या संपत्ति से जुड़े मामलों में बड़ा लाभ हो सकता है। माता पक्ष और ससुराल से संबंधों में मधुरता बनी रहेगी। कारोबारियों को अपने काम में संतोष और मानसिक शांति मिलेगी। समाज में एक नई पहचान बन सकती है और आत्मिक संतोष की अनुभूति होगी। आर्थिक स्थिति लगातार बेहतर होने की संभावना है।
कैसे बनता है महालक्ष्मी योग?
ज्योतिष के अनुसार, जब जन्म कुंडली में मंगल और चंद्रमा एक साथ किसी भाव में स्थित होते हैं, तो उसे महालक्ष्मी योग कहा जाता है। विशेष रूप से जब यह युति द्वितीय, नवम, दशम या एकादश भाव में होती है, तो यह अत्यंत शक्तिशाली और लाभकारी मानी जाती है। इस योग के प्रभाव से जातक को अपार धन, वैभव, सुख-संपत्ति और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह योग व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, प्रतिष्ठा और समाज में मान-सम्मान लाने में सक्षम होता है।
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