Anant Chaturdashi 2021: शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2021) है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा हेतु सबसे महत्वपूर्ण दिन माना गया है। इसी दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त पुरे दिन का उपवास रखते हैं और पूजा के दौरान पवित्र धागा बांधते हैं। इस दिन भगवान नारायण के साथ 14 गांठों वाले अनंत की पूजा होती है और नारायण को अनंत अर्पित करने के बाद इसे अपनी बांह पर रक्षा सूत्र के तौर पर बांधा जाता है।
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इस बार अनंत चौदस 19 सितंबर रविवार के दिन पड़ रही है। ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो इस बार अनंत चौदस पर मंगल, बुध और सूर्य एक साथ कन्या राशि में विराजमान होंगे। इस तरह तीनों ग्रहों की युति के कारण मंगल बुधादित्य योग बन रहा है। धार्मिक रूप से इसे विशेष योग माना जाता है। मान्यता है कि इस विशिष्ट योग में पूजा करने से भक्तों की अनंत बाधाएं दूर हो जाती है और सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है। इसलिए इस बार अनंत चतुर्दशी के दिन तीन कामों को पूरी श्रद्धा से कीजिएगा ताकि आपके बड़े से बड़े संकट भी टल जाएं।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें
अनंत चतुर्दशी पर श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र (Sri Vishnu Sahasranama Stotram) का पाठ जरूर करें. इसे पढ़ने से भगवान नारायण अति प्रसन्न होते है। पूजा संपन्न होने के बाद प्रभु से अपनी भूल चूक की क्षमा याचना करें। इसके बाद उनसे प्रार्थना करते हुए अपनी मनोकामना कहें। मान्यता है कि सच्चे दिल से कही हुई बात प्रभु जरूर सुनते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।
श्रद्धा के साथ पूजन करें
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें। पूजा के दौरान भगवान की शेषनाग की शैय्या पर विराजमान वाली तस्वीर को रखें। कहा जाता है कि भगवान को शेषनाग अति प्रिय हैं और शेषनाग का दूसरा नाम अनंत है। पूजा के दौरान रेशम के धागे से बना 14 गांठों वाले डोरे की भी पूजा करें और इसे प्रभु को अर्पित करें। मान्यता है कि इस डोरे में बंधी 14 गांठें, प्रभु के बनाए 14 लोकों का प्रतीक हैं। पूजन के बाद श्रद्धा के साथ इस अनंत को पुरुष दायीं भुजा पर और महिलाएं बायीं भुजा पर बांध लें।
व्रत रखें
हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी के व्रत को बहुत ही पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उन्हें इस व्रत को श्रद्धा के साथ रखने के लिए कहा था। पांडवों ने श्रीकृष्ण के बताए अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत किया, जिसके बाद उन्हें अपना खोया राजपाट वापस मिल गया था।
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