राम की असली विरासत थाईलैंड! सच है या छुपाया हुआ सच ?

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केशव दास रचित ” रामचन्द्रिका “-पृष्ठ 354 ( प्रकाशन संवत 1715 ) के अनुसार राम और सीता के पुत्र लव और कुश, लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु , भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष, शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे।

♠️. राम-प्रथम के समय ही इनमें राज्यों का बँटवारा इस प्रकार हुआ था; — पश्चिम में लव को लवपर (लाओस), पूर्व में कुश को कुशावती, तक्ष को तक्षशिला, अंगद को अंगद नगर, चन्द्रकेतु को चंद्रावती दिया गया। ये सभी राज्य थाइलैंड उपमहाद्वीप में हैं। जबकि इनके व इंडिया के बीच बंगाल की खाडी है और इनकी व हिंदुस्तान की संस्कृति भाषा लिपि, पहनावा नाम व नश्लों में दिन-रात का अंतर भी देखने को मिलता है।

♣️. कुश ने अपना राज्य पूर्व की तरफ फैलाया और एक नाग वंशी कन्या से विवाह किया था। थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैंl इस वंश को “चक्री वंश कहा जाता है। चूँकि शासक राम को वहाँ के नाराइ का अवतार माना जाता है। भारत में कबूतर की विष्ठा के अणु से पैदा होने वाले विष्णु की तरहं थाइलैंड के नाराइ का हथियार भी चक्र है।

♠️> इसी लिए थाईलेंड के लॉग चक्री वंशी के हर शासक को “राम ” की उपाधि देकर और उसके नाम व राम के साथ संख्या जोड देते हैं। जैसे राम (9 th ) राणा थे, जिनका नाम “भूमिबल अतुल्य तेज ” है और इनका देहांत 13 अक्टूबर 2016 को दिल्ली में हुआ तथा 654 करोड के बजट से इनका दफन संस्कार 26 नवम्बर सन 2017 थाइलैंड में” उनके पैत्रिक कब्रिस्तान में हुआ। फिलहाल इनके बेटे वजीरालोंगकोन राम-दशम के रुप में शासन कर रहे हैं।

♦️. थाइलैंड के वर्तमान राम-दशम ने अपनी चचेरी बहन सहित तीन पत्नियों को तलाक देने के बाद मई 2019 में चौथी शादी की है जबकि इनकी तीसरी पत्नी बोद्ध भिक्षुओं के संग वन में वनवास काट रही है। सीता के बेटे लव की तरहं इसके भी एक बेटा है।

♣️. थाईलैंड की अयोध्या– थाईलैंड की राजधानी का पूराना नाम सियाम है जिसे द्वारावती भी कहा जाता है। जिसे अंग्रेज़ नश्ल के राम प्रथम ने अयोध्या नाम दिया। थाइलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं, क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है कि इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है , इसका नाम वहाँ की संस्कृत किये हुए शब्दों से मिल कर बना है, देवनागरी लिपि में पूरा नाम इस प्रकार है.

♠️. “क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय नाराइ कर्म प्रसिद्धि ”

♣️. थाई भाषा में इस पूरे नाम में कुल 163 अक्षरों का प्रयोग किया गया हैl इस नाम की एक और विशेषता यह है कि इसे बोला नही बल्कि गा कर कहा जाता है। कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या ” भी कहते है l अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या। प्राचीन महेंद्र पर्वत भी थाइलैंड में है और जगह-जगह इंद्र व इंद्रलोक बनाए हुए हैं। थाईलैंड के जितने भी राम ( राव ) हुए हैं, उसमें राम-प्रथम के समय बैंगकाक में रहते हैं जबकि अयोध्या राज्य के रुप में जाना जाता है।

♠️. असली रामराज्य थाईलैंड में ही है जहाँ की जनता रेंगकर, हाथ जोडकर व गर्दन झुकाकर अपने राम के दर्शन करते हैं। यहाँ तक की उसकी होने वाली बीवी को भी रेंगकर अपने राम देवता के पास आती है। वहाँ के गण नौकर दास यानि गुलाम खुद को राम का पूत मानते हैं। शासक को अलग-अलग क्षेत्र व अलग-अलग धर्म की भाषा में राणा-राजा राव रावत रावण रावेल रावला रावण शाह जार किंग एम्पायर सुल्तान रामेसेस आदि नाम से जाना जाता है, ये उपाधियाँ होती हैं। इसलिए जो लोग जिस क्षेत्र में किसी राणा-राजा राव आदि के अधीन रहे हैं या रह रहे हैं वे अपने बाप दादाओं के वंशज कहलाने की बजाय किसी राणा-राजा राव के पूत पुत्र वंशज औलाद कहला कर, अधिक खुशी महसूस करते हैं।

♣️. बौद्ध होने के बावजूद थाईलैंड के लोग अपने शासक को राम-प्रथम का वंशज होने पर” इन्हें थाई नाराइ का अवतार मानते हैं। इसलिए, थाईलैंड में एक तरह से रामराज्य है। वहां के शासक को वहाँ के भगवान राम-प्रथम का वंशज माना जाता है।

♠️. थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना सन 1932 में हुई थी और अस्सी के दशक में छात्रों ने राजशाही के विरोध में आंदोलन किया था” जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गये थे।

♣️. राम-प्रथम के वंशजों की यह स्थिति है कि उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता और वे जबरदस्ती पूजनीय हैं। कहने को वहाँ लोकतंत्र है पर पार्टी व प्रधानमंत्री की बागडोर राम-नवम के बाद राम-दशम के हाथों में है। राम-दशम के आदेश के बिना थाइलैंड का प्रधानमंत्री भी कोई स्वतंत्र निर्णय नही ले सकता। राजशाही की थाई सेना ही वहाँ चुनाव व गणना व घोषणा करती है।

♠️. थाई शाही परिवार के सदस्यों के सम्मुख थाई जनता उनके सम्मानार्थ सीधे खड़ी नहीं हो सकती बल्कि उन्हें झुक कर या रेंगकर या करवट के बल लेटकर मिलना पड़ता है. राम-नवम की तीन पुत्रियों में से एक मिस चक्री प्रभावशाली व राजनीतिज्ञ औरत मानी जाती है और वह ताउम्रदराज कुवांरी है।

♣️. थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामकेन (Ramkien) है, इंडिया में इसका रामाकृति के रुप में अनुवाद किया गया है और इसी आधार पर वाल्मीकि व विभिन्न रामायनें अस्तित्व में आई बताई जाती हैं।

♠️. यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ Ramkien है, जिसे थाई भाषा में ” राम-कियेन ” कहते हैं। जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है। माना जाता है कि अयोध्या में बर्मा योद्धाओं द्वारा अग्निकांड करने के कारण ग्रन्थ की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गयी थी, जिसे चक्री वंश के राम प्रथम (1736–1809), ने अपनी यादास्त के दम से फिर से श्लोकों में लिख लिया था। पर अन्य धर्मों की तरहं श्लोक में लिखना कई तरहं की मनघडंत मिलावटें मानी जाती है। किसी भी सम्पूर्ण किताब-ग्रंथों को श्लोक-शायरी सुरा-सुक्त काव्य-छंद में रटना फिर कभी लिखना” नामुमकिन ही नही असम्भव है।

♠️ राम-प्रथम की शक्ल-सू्रत किसी अंग्रेज की तरहं है और राम-दशम की शक्ल-सू्रत उनके माता-पिता के नयन नक्श व कदकाठी से मेल भी नही खाती है। शायद यह भी ऋष्यश्रृंग्य व सुमित्रा कौशल्या केकयी के पुत्रों की तरहं इनकी मातेश्वरी द्वारा किसी यूरोपीयन से मिलन के परिणाम स्वरूप अवतरित हुआ होगा। ब्रिटिश महारानी को यहाँ सर्वोपरि आदर-सम्मान दिया जाता है।

♣️. थाईलैंड में रामकेन को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित करना इसलिए संभव हुआ, क्योंकि वहां भारत की तरह दोगले मतिभ्रमित मनु-ष्य नही हैं, क्योंकि यहाँ हिंदु मुस्लिम जैसा कोई विवाद नही है और भारत में प्रचलित ग्रंथों के अनुसार प्राचीन अभिलेख, प्राचीन शिलालेख व किसी भी तरहं के प्राचीन प्रमाण भारत में नही मिलते हैं। जबकि ग्रंथों से सम्बंधित स्थान व थाइलैंड की अयोद्धा UNESCO की प्राचीन धरोहरों की सूची में दर्ज है।

♠️. थाई लैंड में राम कियेन पर आधारित नाटक लीला यानि ड्रामा और कठपुतलियों का प्रदर्शन देखना धार्मिक कार्य माना जाता है l राम कियेन के मुख्य पात्रों के नाम इस प्रकार हैं-
01. राम (राम), 02. लक (लक्ष्मण), 03. पाली (बाली), 04. सुक्रीप (सुग्रीव), 05. ओन्कोट (अंगद), 06. खोम्पून ( जाम्बवन्त ), 07. बिपेक ( विभीषण ), 08. तोतस कन ( दशकण्ठ ) रावण, 09. सदायु ( जटायु ), 10. सुपन मच्छा ( शूर्पणखा ), 11. मारित ( मारीच ),12. इन्द्रचित ( इंद्रजीत ) मेघनाद , 13. फ्र पाई ( वायुदेव ), इत्यादि बिना मूंछों, बडे-बडे सोने के मुकुट व सोने के गहने कपडे आदि पहनने वाले और भारत में प्रचलित बिना मूंछों के राम कृष्ण हनुमान ब्रह्मा आदि थाइलैंड, इंडोनेशिया व कम्बोडिया देश की मूल प्राचीन संस्कृति व पहचान में शामिल है।

♠️. थाई राम कियेन में रावेण की बेटी भी है जो” हनुमान की पत्नी मत्स्या है और इनका एक बेटा मछली व बंदर की शक्ल-सू्रत में पैदा हुआ था। विभीषण की पत्नी व इनकी एक पुत्री पोंगक्या (Pongkya) भी है जो अग्नि में जलने के बहाने हनुमान की दूसरी पत्नी बनी थी। जबकि इनके बारे में इंडिया के लोग नहीं जानते और थाइलैंड की नाचने गाने वाली व शारीरिक धंधा करने वाली अप्सराओं (तवायफों) को देवी माता मानकर पूजन करते हैं।

♣️. थाईलैंड में देवी देवता;- थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और रोहिंग्या मुसलमानों की तरहं भारत आकर फिर थाईलैण्ड से गुरु ज्ञान का झोला लेकर और ऋषि-मनु मुनि के भेष में हिंदुस्तान में घुसपैठ करने में कामयाब हो गये हैं। वहां कभी सम्प्रदाय वादी दंगे नहीं हुए. इससे सिद्ध होता है कि दंगे और आतंकवाद केवल हिंदु मुसलमानों के बीच भारत की किसी संघ संस्था वाले ही करवाते हैं। थाई लैंड में बौद्ध भी जिन देवताओं की पूजा करते है, उनके नाम इस प्रकार हैं
♠️ 01 . ईसुअन ( ईश्वन ) ईश्वर शिव , 02. नाराइ ( नारायण ) विष्णु , 03. फ्रॉम ( बर्मा ब्रह्म ब्रह्मा ), 04. इन ( इंद्र ), 05. आथित ( आदित्य ) सूर्य , 06. पाय ( पवन ) वायु।
इससे स्पष्ट होता है कि थाइलैंड की प्राचीन संस्कृति व थाई भाषा को हिंदुस्तान में हिंदी की लिपि व भारत के स्थानीय अक्षर व शब्दों को संस्कृत यानि परिष्कृत अर्थात शुद्धिकृत कर वेद-पूराण रामायन महाभारत आदि ग्रंथ लिखे गये हैं। वरणा क्या कारण है कि थाइलैंड के प्राचीन मंदिर, प्राचीन मूर्तियाँ, प्राचीन अभिलेख व प्राचीन समय के शिलालेख से पहले के अभिलेख मंदिर ग्रंथ आदि भारत में कहीं नही मिलते हैं।

♣️. थाईलैंड का राष्ट्रीय पक्षी गरुङ है। गरुड़ एक बड़े आकार का गिद्ध/बाज है और एक मांसाहारी पक्षी है जो लगभग लुप्त हो गया है और थाइलैंड व इंडोनेशिया दोनों के राष्ट्रीय पक्षी गरुङ अलग-अलग डिजाइन में हैं। अंगरेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी (The brahminy kite ) कहा जाता है , इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur indus ” है l फ्रैंच पक्षी विशेषज्ञ मथुरिन जैक्स ब्रिसन ने इसे सन 1760 में पहली बार देखा था और इसका नाम Falco indus रख दिया था। इंडोनेशिया में गरुड एयरलाइन्स है। चूँकि राम-प्रथम वहाँ के महाप्रभु नाराइ के अवतार हैं और थाईलैंड के राम उसके वंशज है तथा बौद्ध होने पर भी उन्होंने ” गरुड़ ” को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया है। यहां तक कि थाई संसद के सामने थाइलंडी गरुड़ बनाया हुआ है।

♣️♠️. सुवर्णभूमि हवाई अड्डा:- थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि हैl यह आकार के मुताबिक दुनिया का दूसरे नंबर का एयर पोर्ट है। इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है। इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ हैl पौराणिक कथा-कहानियों के अनुसार थाइलैंड के समुद्र में देवोँ और असुरों ने अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था। इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग को मथानी के लिए और मेरु पर्वत का प्रयोग किया था l नाग के फन की तरफ असुर और पुंछ की तरफ देवता थेl मथानी को स्थिर रखने के लिए कछुए के रूप में महाप्रभु नाराइ थेl जो भी व्यक्ति इस ऐयर पोर्ट के हॉल में जाता है वह यह दृश्य देख कर उसे त्रिलोकी नाथ नजर आता है। यह स्वर्ण जैसे सुवर्ण रंग में बनाया हुआ है जो भारत में नही है।
हालांकि ग्रंथों के अनुसार प्राचीन अभिलेख शिलालेख, सफेद हाथी, लम्बे लम्बे नाग, बडी-बडी मत्स्याएं, अति प्राचीन मंदिर, प्राचीन गुफाएँ, अप्सराएँ, मूर्तियां, नश्लें पहनावा, बिना मूंछों वाले देवता व घुटने तक भगवा धोती, सुवर्ण गहने कपडे मुकुट आदि पहनने वाली संस्कृति के लोग थाइलैंड इंडोनेशिया बर्मा खमेर (कम्बोडिया) में ही पाए जाते हैं जबकि इनका गुणगान व पूजा-पाठ भारत में” तथाकथित हिंदुओं द्वारा किया जाता है।
भारत के हिंदु धर्म के हिंदु भले ही खुद को हिंदु मानते हों परन्तु थाइलैंड के लोग खु्द को हिंदु कहलाना पसन्द नही करते हैं। चुंकि थाइलैंड के लोग चांदी, रजत सिल्वर के गहने, कपडे मुकुट आदि नही पहनते हैं और सोने के गहने, सोने के बडे-बडे ताज व सोने व सोने जैसे कपडे पहनना उनकी मूल संस्कृति में शामिल है। इसलिए वे अपने थाइलैंड देश को सुवर्ण भूमि और खुद को सुवर्ण मानते हैं जबकि भारत में अधिकांश लोगों के पास चांदी के गहने, साफ सुथरे पहनने के कपडे व रहने का ढंग भी नही है, फिर भी वे खुद सवर्ण क्षत्रिय ठाकुर और न जाने कैसे-कैसे राणा-राव के पूत पुत्र वंशज बनकर एक-दूसरे से नफरत करते हैं।

👇तस्वीर 1. अयोध्या नगरी थाईलैंड में।
2. समुद्र मंथन की झांकी बैंकॉक एयरपोर्ट
3. थाई राम के वंशज, थाईलैंड के राजा राम प्रथम से राम-दशम, अप्सराएँ आदि व राम-नवम भी है, जिनके नाम पर भारत में राम-नवमी का त्यौहार मनाया जाता है। राम-नवम के रामराज्य का शुभ अंक नौ है।
दुनिया में थाइलैंड में ही ऐसा रामराज्य है जहाँ वहाँ की किशोर से जवान कन्याएँ (लड़कियां) अप्सराएँ (तवायफ गांधर्वी वेश्या, कंजरी, बेली-डांसर नचनैया) बनकर धनी, मुनि, मनु, ऋषि, आचार्य, धर्मगुरु आदि द्वारा डालर खर्च करने पर वे अपने इंद्र के इंद्रलोक में उनसे शारीरिक सम्बन्ध बनाकर उनकी तपस्या भंग करती हैं।
थाइलैंड में जगह-जगह इंद्रलोक (अप्सरा नाम के होटल, तवायफखाने) बने हुए हैं, जिसमें स्वर्ग से बढकर उर्वशी मेनका रम्भा पुंजिकस्थला जैसी अप्सराएँ सजधज कर अपने धनी ग्राहकों का मनोरंजन करती है ।।।