बीती शाम प्री मानसून (Pre Monsoon) के चलते लगातार दूसरे दिन बारिश हुई जिससे महाकाल मंदिर (Mahankal Temple) परिसर में जहां पर ओमकारेश्वर एवं अन्य मंदिर स्थापित है यहां का पानी कार्तिकेय मंडपम एवं आपातकालीन गेट के नीचे से बहता हुआ नंदीहाल तक पहुंच गया था। मंदिर के कर्मचारी वाइपर चला-चला कर थक गए थे, बाल्टियों से पानी को बाहर निकाला गया।
बारिश तो 2 दिन से हो रही है लेकिन फिर कल ही क्यों पानी नंदीहाल तक पहुंचा ? इस मामले की जांच की गई तो पता चला की ऊपर मंदिर परिसर में जहां से पानी निकलता है वहां कही पर कचरा-थैली आदि फंसने की वजह से वह चौक हो गया था और पानी ओवरफ्लो होकर आपातकालीन गेट के नीचे से बहकर नंदीहाल तक पहुंच गया। इसके साथ ही कार्तिकेय मंडपम से भी पानी झरने की तरह बहने लगा और नंदीहाल में जमा हो गया।
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इस मामले को देखते हुए जो दिक्कत महाकाल मंदिर परिसर में आई है उससे तो उज्जैन की नगर निगम की सफाई व्यवस्था पर सवाल उठते है। शहर की नाली,बड़े नाले आदि चौक होने की वजह से जगह- जगह नीचे स्थान पर पानी भरा गया था और वहीं दूसरी तरफ महाकाल मंदिर परिसर का पानी भी नंदीहाल तक पहुंच गया था। मंदिर में निकासी की पर्याप्त व्यवस्था पर समय रहते ध्यान देना ज़रूरी है क्यूंकि अभी तो बारिश का पूरा सीजन बाकी है।
कुछ साल पहले भी शिप्रा नदी उफान पर थी तब महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में पानी इकठ्ठा हो गया था। ऐसा लग रहा था जैसे बाबा का जलाभिषेक स्वयं इंद्र देव द्वारा किया गया हो। जब इस मामले की जांच हुई थी तो पता लगा की कुंड या अन्य जगह से पानी बहकर किसी तरह से यहां तक पहुंचा लेकिन गर्भ ग्रह में पानी कैसे आया इसकी आजतक कोई सही वजह पता नहीं चली है।