बच्चों को सायबर अपराध के प्रति सतर्क एवं जागरूक बनाने का सशक्त माध्यम प्राचार्यगण – डॉ वरूण कपूर

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डॉ वरूण कपूर-अति. पुलिस महानिदेशक द्वारा सायबर अपराधों के प्रति बच्चों को जागरूक करने के उद्देश्य से शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों के प्राचार्यो के लिये ‘School Principals Cyber Education’ ‘Ojaswi’ प्रशिक्षण अभियान प्रारंभ किया गया है। इसी के तारतम्य में म.प्र. शिक्षा मण्डल/केन्द्रीय बोर्ड से संबद्ध इन्दौर के निजी विद्यालयों के प्राचार्यो के लिये सेंट एनीबिसेंट स्कूल, प्रिकांको कालोनी, इंदौर में दिनांक-07.11.2022 को तृतीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में मुख्य रूप से कांचन तारे-प्राचार्य रविशंकर विद्या मंदिर, इंदौर व चेयरपर्सन इंदौर सहोदय स्कूल समूह (सीबीएसई), मोहित योदव-प्राचार्य एनीबिसेंट स्कूल, इंदौर एवं समूह के अन्य सदस्यगण सचिव ईसाबेल स्वामी-प्राचार्या सेंट मेरी चेम्पियन हा.से.स्कूल, इंदौर, पूनम शेखावत-सह सचिव व प्राचार्या-वेदांत द ग्लोबल स्कूल, इंदौर एवं सुमन कोचर-कोषाध्यक्ष व प्राचार्या -नेशनल पब्लिक स्कूल, इंदौर उपस्थित रहे।

 

कार्यशाला के प्रारंभ में मोहित यादव एवं कांचन तारे द्वारा डॉ वरूण कपूर को पुष्प गुच्छ भेटकर स्वागत किया गया। डॉ कपूर ने कार्यशाला में उपस्थित प्राचार्यगणों को संबोधित करते हुये बताया कि विश्व ने तकनीकी उन्नति में नये-नये आयाम स्थापित किये हैं। खासकर कम्प्यूटर एवं इंटरनेट क्रांति ने हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया है। वर्तमान में इसके बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है।

शिक्षा के क्षेत्र में भी इस तकनीक ने अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। कम्प्यूटर/लेपटॉप, स्मार्ट फोन शैक्षणिक आदान-प्रदान का एक सबसे सशक्त माध्यम बन गये है। प्राचार्यों की भूमिका विविधतापूर्ण एवं विस्तृत है और वे बच्चों से स्कूल की अन्य गतिविधियों एवं संवाद के माध्यम से जुड़े रहते हैं। कार्यशाला में मौजूद प्राचार्यां को नवाचार एवं अभिनव कार्यो को अपनाने हेतु प्रेरित करते हुये अपने-अपने स्कूलों के अध्यापकों एवं अध्ययनरत बच्चों को सायबर अपराध एवं सुरक्षा के संबंध में जागरूक करने पर बल दिया गया क्योंकि बच्चें नादान होते है उन्हें अच्छे-बूरे का अन्तर करना नहीं आता है और सायबर अपराधियों के वे सबसे आसान शिकार होते हैं।

बच्चों को सायबर अपराध के संबंध में जागरूक करना अत्यन्त आवश्यक है ताकि सायबर अपराधों के प्रति सजग एवं सतर्क रहें तथा वे सुरक्षित तरीके से सायबर स्पेस का उपयोग कर सके। सायबर अपराध में नये-नये तरीकों से अपराध की घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी के कारणों, सुरक्षित रहने के उपायों एवं सावधानियों के संबंध में विस्तृत रूप जानकारी देते हुये सायबर स्पेस का उपयोग करते समय अपने अच्छे डिजिटल फुटप्रिंट बनाने तथा सायबर बुलिंग, ग्रुमिंग, फिशिंग से संबंधित सायबर अपराधों के बारे में बताया गया।

 

सायबर ग्रुमिंग एक ऐसा बढ़ता हुआ सायबर खतरा है जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे एवं किशोर होते हैं। इसके माध्यम से बच्चे यौन शोषण तक का शिकार हो जाते है। सायबर ग्रुमिंग के माध्यम से सर्वप्रथम बच्चे का विश्वास हासिल किया जाता है और उससे उसका डेटा एवं अंतरंग बातचीत कर गोपनीय बाते हासिल कर उन्हें गलत कार्यो के लिये डराया-धमकाया जाता है चूँकि बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं और इस बात से अनजान होते हैं कि उनसे सायबर ग्रुमिंग के उद्देश्य से संपर्क किया गया है और वे ग्रुमिंग का शिकार हो जाते हैं। बच्चों में सोशल मीडिया, ऑनलाईन गेमिंग की प्रवृत्ति दिनोदिन बढ़ती जा रही है जो उनके भविष्य के लिये घातक हो सकती है। साथ ही बच्चें ऑन-लाईन गेमिंग में ज्यादा समय व्यतीत करने के कारण गेमिंग डिसआर्डर का भी शिकार हो रहे हैं। बच्चों की इस प्रवृत्ति को खेल की विषय वस्तु का चयन एवं समय निर्धारित कर अंकुश लगाया जा सकता है।

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प्राचार्यगणों ने अपनी जिज्ञासा प्रश्नों के माध्यम से रखी जिनका समाधान डॉ कपूर ने सहजता से किया। कार्यशाला के अंत में जिला शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास एवं एडीपीसी नरेन्द्र जैन द्वारा डॉ. वरूण कपूर को प्रमाण पत्र एवं सहोदय ग्रुप की अध्यक्षा कांचन तारे एवं सहोदय समिति के सदस्य गणों द्वारा प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेट किया गया। कार्यशाला को सफल बनाने में निरीक्षक श्रीमती पूनम राठौर व उनकी टीम के सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।