दिनेश निगम ‘त्यागी’
प्रदेश के एक नेता थावरचंद गहलोत मंत्रिमंडल से हटाए गए बदले में प्रदेश से दो नेताओं को जगह मिल गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं वीरेंद्र खटीक को केबिनेट मंत्री के रूप में शामिल कर अच्छे विभाग दे दिए गए। सिंधिया को उड्डयन मंत्री बनाया गया और खटीक को सामाजिक न्याय, अधिकारिता मंत्री। इसका मतलब यह कतई नहीं कि मप्र के साथ सिर्फ अच्छा ही हुआ। सिंधिया-खटीक ताकतवर मंत्री बने तो प्रहलाद पटेल एवं फग्गन सिंह कुलस्ते का कद घटा दिया गया। नरेंद्र सिंह तोमर से दो महत्वपूर्ण विभाग पंचायत, ग्रामीण विकास एवं खाद्य प्रसंस्करण वापस ले लिए गए। हालांकि वे केंद्र में ताकतवर बने हुए हैं।
प्रहलाद पिछड़े वर्ग में लोधी समाज के बड़े नेता है और फग्गन को भाजपा में आदिवासी चेहरे के तौर पर देखा जाता है। आमतौर पर स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री को पदोन्नत कर केबिनेट मंत्री बनाया जाता है। यहां उलटा हो गया। प्रहलाद-फग्गन का प्रमोशन की बजाय डिमोशन कर दिया गया। पहले वे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री थे, अब सिर्फ राज्य मंत्री रह गए। ये दोनों पहले भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं।
दो में से एक की छुट्टी की थी चर्चा
– केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार की कसरत के दौरान जब सिंधिया के साथ कैलाश विजयवर्गीय एवं राकेश सिंह के नाम भी मंत्री बनने के दावेदारों में लिए जा रहे थे, तब प्रहलाद एवं फग्गन में से किसी एक को मंत्रिमंडल से छुट्टी किए जाने की भी चर्चा थी। प्रहलाद मोदी मंत्रिमंडल में पहली बार शामिल हुए हैं जबकि फग्गन उनके पहले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। माना जा रहा था कि यदि दो मंत्री बनाए जाएंगे तो इनमें से किसी एक को ड्राप किया जाएगा। ऐसा नहीं हुआ। किसी को हटाया तो नहीं गया पर इनका कद कम कर दिया गया। दूसरी तरफ मोदी के पिछले कार्यकाल में राज्य मंत्री रहे वीरेंद्र कुमार सीधे केबिनेट मंत्री बना दिए गए।
दमोह की हार व झगड़े से प्रहलाद का नुकसान
– दमोह विधानसभा सीट के उप चुनाव में पार्टी की हार एवं जयंत मलैया व गोपाल भार्गव जैसे दिग्गज नेताओं के साथ झगड़ा प्रहलाद पटेल का कद कम करने के कारण माने जा रहे हैं। भार्गव के साथ प्रहलाद का पहले से छत्तीस का आंकड़ा था। दमोह में जयंत मलैया के साथ भी उनका झगड़ा बढ़ गया। प्रहलाद के प्रयास से राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। उप चुनाव में प्रचार अभियान की पूरी कमान उनके ही हाथ थी लेकिन राहुल चुनाव हार गए। इसके बाद राहुल और प्रहलाद पराजय के लिए जयंत मलैया को जवाबदार ठहराने लगे। पार्टी नेतृत्व को यह बात जची नहीं। इसीलिए मलैया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और बेटे सिद्धार्थ पर भी कार्रवाई रुक गई। लोधी समाज की उमा भारती चूंकि मुख्य धारा से बाहर हैं, इसलिए प्रहलाद को मंत्रिमंडल से हटाने की बजाय सिर्फ उनका कम कम किया गया।
आदिवासी होने के कारण बच गए फग्गन
– फग्गन सिंह कुलस्ते का कद छोटा करने की वजह उनकी परफारमेंस को बताया जा रहा है। वे नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री थे लेकिन परफारमेंस ठीक न होने के कारण उन्हें हटा दिया गया था। इस बार भी इसी कारण उन्हें मंत्रिमंडल से हटाए जाने की चर्चा थी। पर भाजपा नेतृत्व आदिवासी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहता, इसलिए हटाने की बजाय उन्हें स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री के स्थान पर सिर्फ राज्य मंत्री बनाकर मंत्रिमंडल में बनाए रखा गया।