26 अगस्त को महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में छत्रपति शिवाजी महाराज की एक विशाल प्रतिमा अचानक गिर गई। इस घटना ने स्थानीय राजनीति को गरमा दिया है और इसके बाद से राज्य में तनाव बढ़ गया है। मूर्ति गिरने की घटना के बाद दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, लेकिन विपक्षी दल इस मुद्दे पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हैं।
विपक्ष का आंदोलन
इस घटनाक्रम के बाद महा विकास अघाड़ी (MVA) ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस मुद्दे पर आलोचना के साथ ही, MVA के घटक दल आज दक्षिण मुंबई में हुतात्मा चौक से गेटवे ऑफ इंडिया तक ‘जूता मारो आंदोलन’ का आयोजन करेंगे। पहले उद्धव ठाकरे गुट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की थी, और अब इस आंदोलन के जरिए विपक्षी दल सरकार पर दबाव बना रहे हैं। यह आंदोलन महाराष्ट्र में आगामी दिनों में राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत दे सकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया
इस घटना पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है और माफी मांगी है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इस घटना पर बार-बार माफी मांगने की बात की है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रतिमा का पुनर्निर्माण जल्द ही किया जाएगा।
गिरावट के बाद की स्थिति
छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा का निर्माण पिछले साल 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। प्रतिमा के गिरने के आठ महीने के भीतर यह घटना हुई है। इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी माफी मांगी और शिवाजी महाराज को पूजनीय बताते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि वह महाराज के चरणों में गिरकर माफी मांगते हैं।
प्रतिमा के निर्माण में संलिप्त ठेकेदार चेतन पाटिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया है। इस घटना की जांच और संबंधित कार्रवाई जारी है, और इसके बाद के घटनाक्रम पर राज्य और केंद्रीय सरकार की नजरें लगी हुई हैं।