J&K: राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, उमर अब्दुल्ला बोले- “हम इस दिन का इंतज़ार कर रहे थे”

जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग पर विपक्ष और क्षेत्रीय दल एक सुर में

Dileep Mishra
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J&K: राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, उमर अब्दुल्ला बोले- "हम इस दिन का इंतज़ार कर रहे थे"

J&K: जम्मू-कश्मीर को लेकर लंबे समय से चली आ रही राजनीतिक मांग पूर्ण राज्य का दर्जा एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आ गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इस संवेदनशील मुद्दे को फिर से जीवंत कर दिया है। वहीं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पहल का जोरदार स्वागत किया है। उमर ने कहा कि यह एक ऐसा कदम है जिसका वे और जम्मू-कश्मीर के लोग लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। उन्होंने इस प्रयास के लिए विपक्ष का आभार जताया और इसे “हमारी आवाज़ को दिल्ली और संसद में बुलंद करने वाला” बताया।

पीएम से किया गया आग्रह

कांग्रेस नेतृत्व ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखी चिट्ठी में दो टूक कहा है कि जम्मू-कश्मीर को संविधान के दायरे में पूर्ण राज्य का दर्जा पुनः दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का सम्मान करते हुए, जल्द से जल्द यह प्रक्रिया पूरी की जाए। क्षेत्र के लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों की बहाली की जाए। राहुल गांधी और खड़गे की ओर से यह चिट्ठी ऐसे समय में लिखी गई है, जब संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, और विपक्ष इसे एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दे के रूप में उठाने की तैयारी में है।

उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान कहा कि- “हम कोई भी ऐसी बात नहीं कह रहे, जिसका वादा हमसे नहीं किया गया हो। संसद में, सुप्रीम कोर्ट में, हर मंच पर यह कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को जल्द राज्य का दर्जा वापस मिलेगा।” उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट रूप से यह कहा था कि “जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा दिया जाए।” उमर ने इस पर सवाल उठाया कि “अब आखिर ये ‘जल्द से जल्द’ कब आएगा?”

संसद में गूंजेगा पहलगाम हमला

उमर अब्दुल्ला ने यह भी बताया कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा भी संसद में उठाएंगे। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, और अब तक जिम्मेदार आतंकियों का पता नहीं लगने पर सरकार की आलोचना हो रही है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अभी तक 21 जुलाई को संसद घेराव को लेकर विपक्षी दलों से कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है।

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बदली तस्वीर

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक और विवादास्पद कदम उठाते हुए अनुच्छेद 370 हटाया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। तब से ही राज्य के राजनेता और कई क्षेत्रीय संगठन पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक दलों की प्रमुख मांगें हैं, जिनमें स्वतंत्र विधानसभा और मुख्यमंत्री का अधिकार, भूमि और नौकरियों पर स्थानीय प्राथमिकता और संवैधानिक अधिकारों की बहाली शामिल है।

कांग्रेस को मिल रहा समर्थन

गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर सरकार में कांग्रेस को समर्थन दे रखा है, हालांकि कांग्रेस का कोई मंत्री वर्तमान में कैबिनेट में शामिल नहीं है। इस समर्थन को अब राज्य के मुद्दों पर साझा विपक्षी रुख के रूप में देखा जा रहा है। सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा की- “मैं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी का शुक्रगुजार हूं। विपक्ष ने जिस तरह जम्मू-कश्मीर की आवाज़ उठाई है, वह इस बात का संकेत है कि दिल्ली में अब हमारी बात सुनी जा रही है।”

अब नजरें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर

जम्मू-कश्मीर की राजनीति और भावनाएं एक बार फिर उबाल पर हैं। केंद्र सरकार द्वारा बार-बार ‘सही समय’ की बात कहने के बावजूद, यह समय कब आएगा, यह सवाल अब और ज़ोर पकड़ रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार विपक्ष के इस संयुक्त दबाव और उमर अब्दुल्ला जैसे क्षेत्रीय नेताओं की भावनाओं पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई ठोस आश्वासन मिलेगा? या फिर यह मुद्दा एक बार फिर ‘सही समय’ के इंतजार में लटका रहेगा। यह आने वाले हफ्तों में साफ हो जाएगा।