प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने नए संसद भवन की छत पर आज एक विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया है. लेकिन अब उनके इस अनावरण पर भी सियासी जंग छिड़ गई. विपक्ष को पीएम का अशोक स्तंभ का अनावरण करना रास नहीं आ रहा है और जमकर बयानबाजी देखी जा रही है. इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन है. वहीं कांग्रेस दूसरी पार्टियों को कार्यक्रम में ना बुलाए जाने से खफा चल रही है.
विशालकाय अशोक स्तंभ को बीजेपी (BJP) के लोग उम्मीदों को पूरी होने का साक्षी बता रहे हैं, वहीं विपक्ष इस पर सवाल खड़े करता दिखाई दे रहा है. गृह मंत्री अमित शाह ने टि्वटर पर लिखा था कि नया संसद भवन भारत की पहचान और जनता की आकांक्षा को पूरी करने का साक्षी बनेगा. संसद के शीर्ष स्थान पर स्थापित किया गया यह स्तंभ मुकुटमणि की तरह हमेशा देदीप्यमान रहने वाला है.
Must Read- नागालैंड के मंत्री ने सुझाया जनसंख्या नियंत्रण का मजेदार फॉर्मूला, बोले- मेरी तरह सिंगल रहें
इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने अनावरण के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) की मौजूदगी पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि यह संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन है. उनका कहना है कि संविधान संसद सरकार और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग अलग बनाता है. लोकसभा का प्रतिनिधित्व लोकसभा अध्यक्ष करता है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अनावरण नहीं करना चाहिए था. उन्होंने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है.
कांग्रेस ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए यह कहा है कि जब संसद सारी पार्टियों के लिए बनाया गया है तो यहां से जुड़े कार्यक्रम में अन्य पार्टियों को क्यों नहीं बुलाया गया. CPM की ओर से इस मामले में एक ट्वीट भी किया गया है. जिसके मुताबिक पीएम का अनावरण करना गलत बताया गया है. ट्वीट में लिखा है कि अशोक चिन्ह का अनावरण किसी धार्मिक कार्यक्रम से जुड़ा हुआ नहीं है. यह किसी धर्म का नहीं बल्कि राष्ट्रा का प्रतीक है. धर्म को राष्ट्रीय कार्यक्रमों से अलग रखा जाना चाहिए.
जिस अशोक स्तंभ को लेकर विवाद चल रहा है वह वाकई में विशालकाय है. इसके विशाल आकार से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे संभालने के लिए कम से कम साढ़े 6 हजार की स्टील की संरचना तैयार की गई है. 20 फीट ऊंचे इस स्तंभ का वजन 9500 किलो बताया जा रहा है. इस स्तंभ को 8 चरणों की प्रक्रिया के बाद पूरा किया गया है.