सुनील राज
कुछ महीनों के भीतर भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों (Petrol and Diesel Prices) में एक रिकॉर्ड उछाल देखने को मिला है। कई बड़े शहरों में पेट्रोल के भाव 100 रुपये को पार कर चुके हैं। पेट्रोल और डीजल के दामों में आई इस तेजी के बाद लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों के भीतर ये सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर पेट्रोल और डीजल इतने महंगे क्यों बिक रहे हैं और इनके दामों को कैसे तय किया जाता है… अगर आप भी इस बात से अंजान हैं तो आज हम इसी के बारे में जानेंगे एक्सपर्ट राजेंद्र पाठक से।
उन्होंने बताया कि पेट्रोल और डीजल के दाम किसी एक चीज पर निर्भर नहीं करते हैं। इनके दामों को तय करते वक्त कई चीजों को ध्यान में रखा जाता है। ग्लोबल ऑयल मार्केट से लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इनके मूल्य को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने बताया कि भारत अपने 80 फीसदी पेट्रोल और डीजल का डिमांड ग्लोबल ऑयल मार्केट से पूरा करता है। इस कारण पेट्रोल और डीजल के दामों को निश्चित करने ग्लोबल मार्केट की सबसे बड़ी भूमिका होती है। क्रूड ऑयल का प्राइस रोजाना उतार चढ़ाव करता है। इसी को ध्यान में रखकर भारत में ऑयल के दामों को डेली बेसेस पर तय किया जाता है। इस समय ग्लोबल ऑयल मार्केट में ब्रेंट क्रूड ऑयल एक मेजर ट्रेडर है।
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ऑयल की रिफाइनिंग के बाद मार्केटिंग कंपनियां तेल के भावों को ग्लोबली चल रहे रेट के मुताबिक तय करती हैं। तीसरा मेजर रोल सरकार प्ले करती है। केंद्र और राज्य सरकारें कई तरह के टैक्स ऑयल के ऊपर चार्ज करती हैं। इसमें एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार द्वारा लगाया गया वैट शामिल होता है। उसके बाद डीलर कमीशन को भी जोड़ा जाता है। इन सब को जोड़ने के बाद बाजार में पेट्रोल और डीजल के रिटेल प्राइस को तय किया जाता है। गौरतलब बात है कि दुनिया भर में भारत सबसे ज्यादा टैक्स पेट्रोल और डीजल के दामों पर वसूलता है।
विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल के भाव अलग अलग होते हैं –
आप में से कई लोगों के भीतर ये सवाल जरूर उठा होगा कि आखिर विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दाम अलग अलग क्यों होते हैं? इसकी मुख्य वजह राज्य सरकारों द्वारा पेट्रोल और डीजल पर वसूले जाने वाला वैल्यू एडेड टैक्स यानि वैट है। हर राज्य अलग अलग वैट अपने मुताबिक वसूलता है। इसी वजह से विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल के दाम अलग अलग होते हैं।