अर्धसैनिक बलों को भी जल्द मिल सकती हैं पेंशन! साथ ही मिलेगी अन्य सुविधाएं, होगा ये लाभ

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By Shraddha PancholiPublished On: August 9, 2022
Pension Rule

अर्धसैनिक बलों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह अर्धसैनिक बलों के लिए आर्मी के जवानों की तर्ज पर पेंशन सहित अन्य सौगात देने की मांग की है। दरअसल संजय सिंह ने कई सुविधाओं को बहाल करने की मांग करते हुए राज्यसभा में बहस का नोटिस देते हुए बहस की मांग की है। उन्होंने आर्मी और अर्धसैनिक बलों में भेदभाव का भी आरोप लगाया है।

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने इस योजना को लेकर राज्यसभा में बहस की। अर्धसैनिक बलों को भी पेंशन की सौगात दी जाए। अपने नोटिस में सिंह ने कहा कि देश के बॉर्डर पर करीब दस लाख सैनिक अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करते हैं। लेकिन उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, उनके लिए भी पेंशन की योजना शुरू की जाना चाहिए। क्योंकि जवान बाढ़, आंधी, चुनाव या किसी की मौके पर देश की रक्षा करने से कभी पीछे नहीं हटते हैं। हमेशा आगे आकर अपनी जान की बाजी लगाकर अपना कर्तव्य निभाते हैं।

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नोटिस में सिंह ने मांग की है कि 2004 के बाद से जवानों की पेंशन बंद करने के साथ कैंटीन की सुविधा पर जीएसटी लगाने व वन रैंक पेंशन का लाभ सातवें वेतनमान की तर्ज पर उसे लागू नहीं करना जैसी असुविधा कक सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं नोटिस में आगे बताया गया कि जवानों के बच्चों को उच्च शिक्षा की कमी एवं जूनियर अधिकारियों का प्रमोशन न होना उचित वेतन का लाभ नहीं मिलना आदि बातें शामिल है। नोटिस में इन्ही बातों का जिक्र करते हुए जवानों को उचित को लाभ मिले इसको लेकर सिंह ने बहस की हैं।

नोटिस में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि कहा गया कि आर्मी के जवानों को यह सभी सुविधाएं प्रदान की जाती है। लेकिन अर्धसैनिक बल इससे वंचित हैं और यह बहुत गलत बात है। अर्धसैनिक एवं आर्मी अफसरों दोनों में यह भेदभाव होता है, जो कि उचित नहीं है। यहां तक कि उन्हें शहीद का दर्जा भी नहीं मिलता है। ऐसे में उन्हें कई सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

आपको बता दें कि संजय सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा होना जरूरी है और इस पर बहस की आवश्यकता है। ऐसे में 267 नियम के अनुसार राज्यसभा से अनुरोध करते हुए अन्य कार्यों को स्थगित करते हुए सदन में इस मुद्दे पर गंभीर और संवेदनशील चर्चा कराए जाने की अति आवश्यकता है। साथ ही अर्धसैनिक के बारे में सोचने की भी आवश्यकता है क्योंकि आर्मी अफसर और अर्धसैनिक बलों में भेदभाव हो रहा है, जो कि उचित नहीं है।