भारतीय सिनेमा का एक ऐसा कलाकार जिसकी फिल्मों के 50 से ज्यादा बने रीमेक, पढ़े ‘कलाकारों के शहंशाह’ की पूरी कहानी

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भारतीय सिनेमा में यूँ तो कई ऐसे कलाकार रहे जिन्होंने देश दुनिया में खूब नाम रोशन किया लेकिन साउथ सिनेमा के इतिहास में एक ऐसा कलाकार रहा, जिसने दुनिया भर में खूब चमक बिखेरी और दशकों तक लोगों के दिलों पर राज किया। जी हाँ हम बात कर रहे है कन्नड़ सिनेमा के सुपरस्टार डॉ़. राजकुमार की।

डॉ. राजकुमार इकलौते एक्टर थे, जिनकी फिल्मों का 50 से ज्यादा बार 9 भाषाओं में रीमेक बनाया गया। अमिताभ बच्चन भी जिन्हें अपना गुरु मानते थे और उनके पैर छूते थे। वहीं अनिल कपूर इन्हें ‘एक्टरों का शहंशाह’ कहते थे। डॉ. राजकुमार ने अपने 58 साल के करियर में ऐसे रिकॉर्ड्स बनाए, जो हैरान कर देंगे।

भक्त प्रह्लाद में बाल कलाकार के रूप में कमाई खूब ख्याति

आपको बता दें डॉ राजकुमार एक्टर बनने से पहले एक नाटककार थे। वह गुब्बी वीराना की ड्रामा कंपनी के साथ काम करते थे। यहीं से उनके मन में एक्टिंग का कीड़ा जगा। साल 1942 में डॉ. राजकुमार ने ‘भक्त प्रह्लाद’ नाम की फिल्म में काम किया। उस समय वह बेहद छोटे थे। आठ साल की उम्र में वह फिल्म Bedara Kannappa में नजर आए। करीब 58 साल लंबे करियर में डॉ. राजकुमार ने 208 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग की और ढेरों गाने गाए। आपको जानकर हैरानी होगी कि डॉ. राजकुमार की 13 फिल्मों ने बेस्ट फीचर फिल्म के नैशनल अवॉर्ड जीते।

क्लासिक गानों में बनाया रिकार्ड्स

डॉ. राजकुमार ने क्लासिकल सिंगिंग में ट्रेनिंग ली थी। उनकी शुरुआती फिल्मों में जहां अन्य सिंगर्स ने आवाज दी, वहीं 1974 से डॉ. राजकुमार अपनी फिल्मों के लिए खुद ही गाने लगे। राजकुमार ने अन्य एक्टरों के लिए भी गाने गाए। उन्होंने 75 म्यूजिकल नाइट्स में परफॉर्म किया और 300 से ज्यादा गाने गाए। राजकुमार की सिंगिंग की खास बात यह रही कि वह किसी भी शैली में गा लेते। फिर चाहे कव्वाली हो, गजल हो, भजन हो या फिर इंग्लिश गाने।

देश विदेश में बनाये हैरान कर देने वाले रिकार्ड्स

राजकुमार इकलौते ऐसे एक्टर हैं, जिन्हें अमेरिका में केंटकी के राज्यपाल द्वारा केंटकी कर्नल सम्मान दिया गया। वह एकमात्र लीड एक्टर हैं, जिन्हें सिंगिंग के लिए नैशनल अवॉर्ड मिला था। यही नहीं, राजकुमार पहले एक्टर हैं, जिन्होंने 200 कन्नड़ फिल्मों में लीड हीरो का रोल प्ले किया था। डॉ. राजकुमार ने मात्र 8 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़ दी थी। बचपन से ही उनका झुकाव फिल्मों और एक्टिंग की तरफ होने लगा था। यह लाजमी भी था क्योंकि उनके माता-पिता अपने जमाने के जाने-माने थिएटर आर्टिस्ट रहे। राजकुमार ने नन्ही सी उम्र से फिल्मों में काम करना शुरू किया और 25 साल की उम्र तक फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करते रहे।

कर्नाटक में 1100 से ज्यादा मुर्तिया बनाई गयी

राजकुमार ने अपने करियर में कर्नाटक के मैसूर वंश से लेकर चालुक्य वंश तक को फिल्मी पर्दे पर उतारा। लेकिन 2006 में राजकुमार की मौत हो गई। वह घर में ही सोफे पर बैठे हुए अचानक बेहोश हो गए थे। घरवाले तुरंत ही अस्पताल लेकर भागे, लेकिन राजकुमार को बचाया न जा सका। राजकुमार की मौत से पूरी साउथ फिल्म इंडस्ट्री दहल गई। फैंस का रो-रोकर बुरा हाल था। राजकुमार की आंखें दान कर दी गईं। अपने 58 साल के लंबे करियर में राजकुमार ने ढेरों अवॉर्ड और सम्मान जीते। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक में उनकी 1100 प्रतिमाएं बनाई गई हैं।

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