गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर उल्टे हनुमान जी की प्रतिमा

Suruchi
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सीताराम गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्री राम पाताल विजय उल्टे हनुमान पर विशेष शृंगार किया गया। क्यों क्योंकि हनुमान जी ने जो शिक्षा का ग्रहण करा था। वह भी उल्टे होकर ही ग्रहण करा था। अर्थात सूर्य नारायण पीछे चल रहा है। और हनुमान जी महाराज उनके आगे आगे चल रहे थे कहा गया है, कि हनुमान जी के गुरु सूर्यनारायण हैं। और आज गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर उल्टे हनुमान जी पर यह विशेष श्रृंगार कि आ गया है और हनुमान बाहुक में भी निकलता है। कि,

“भानुसो पढ़न हनुमान गये भानु मन अनुमानि सिसुकेलि कियो फेरफार सो
पाछिले पगनि गम मगन मन क्रमको न भ्रम कपि बालक बिहार सो”

अर्थात हनुमान जी महाराज जब शिक्षा लेने भानु सूर्यनारायण के पास गए तो वहां पर भी गगन में हनुमान जी है। वह सूर्य नारायण के आगे दौड़कर दौड़कर शिक्षा प्राप्त की इसी के पावन पर्व पर हनुमान जी पर सूर्य नारायण के दर्शन करते हुए विशेष शृंगार किया गया। यहां पर श्रंगार किया गया यह जानकारी शासकीय पुजारी पंडित नवीन महेश कांत व्यास के द्वारा प्रदान की गई।