ब्रजेश राजपूत
देश मेरा रंगरेज ओ बाबू,,,, घाट घाट यहां घटता जादू,,, मेरी पसंदीदा फिल्म का ये गाना जाने क्यों दिन सुबह से ही दिमाग में गूंज रहा है। बात ये है कि आप जिस माहौल में रहते हो वैसा ही गीत गुनगुनाने लगते हो। तो मैं बता दूं कि शनिवार की सुबह से देर शाम तक हम कोरोना के खिलाफ टीकाकरण कार्यक्रम की रिपोर्टिंग में ही उलझे रहे। इस कार्यक्रम में अफसरों की आपाधापी और मीडिया की मारामारी देख यही गाना कानों में बजता रहा। तो सबसे पहले शुरू से ही शुरू करते हैं। एक दिन पहले तक ये तय था कि इस बहुप्रचारित अभियान का प्रादेशिक स्तर का मुख्य कार्यक्रम भोपाल के जेपी अस्पताल में होगा। जहां प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री उपस्थित रहेंगे और इस अस्पताल में यहां के सुरक्षा गार्ड हरदेव यादव को कोरोना का पहला टीका लगेगा। एक दिन पहले तक मीडिया हरदेव का गुणगाण करते रहे और करें भी क्यों नहीं हरदेव भले ही सुरक्षा गार्ड हो मगर उनसे प्रधानमंत्री मोदी जी आनलाइन चर्चा करेंगे। उधर इस अभियान के कवरेज की निराशा पैदा करने वाली ये खबर थी कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जो हमेशा हर वक्त मीडिया में डिमांड में रहते हैं भोपाल में ना रहकर सिंगरौली जा रहे थे और वहीं से वो इस कार्यक्रम में शामिल होते। मगर नींद से उठने यानिकी सुबह तक सब बदल चुका था। टीकाकरण का मुख्य कार्यक्रम जेपी अस्पताल से बदल कर हमीदिया अस्पताल में रख दिया गया था। जिसमें चिकित्सा शिक्षा मंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री भी वहीं आने वाले थे। मुख्यमंत्री कार्यालय से जो कार्यक्रम जारी हुआ उसमें बताया गया कि रीवा में कोहरा होने के कारण मुख्यमंत्री अब भोपाल का कार्यक्रम करने के बाद ही रीवा और सिंगरौली जायेंगे। बस फिर क्या था कई दिनों की तैयारियों से चमक रहे जेपी अस्पताल में हर ओर लटके फूलों की रौनक जैसे गायब ही हो गयी। हांलाकि हरदेव के उत्साह में जरा भी कमी नहीं थी। जब हमने उससे बात की तो वो उसी उत्साह से दमक रहा था। हांलाकि तब तक उसे ये भी नहीं पता था कि मुख्य कार्यक्रम स्थल तो बदल ही गया है मोदी जी का उससे बात करने के कार्यक्रम में भी रददोबदल हो गया है। जेपी अस्पताल में दिन भर जमने की सोच रहा भोपाल का मीडिया हमीदिया अस्पताल की ओर तेजी से भागा जा रहा था।
उधर हमीदिया अस्पताल में हालत अफरातफरी वाला था। यहां अब तक तो तैयारी टीकाकरण सेंटर की थी मगर अब जब मुख्यमंत्री और दोनों मंत्री आ रहे थे तो तैयारियां उस हिसाब से होने लगीं। तंबू सुबह सात बजे से ही तनने लगा था तो नीचे फर्श हमारे आते आते बिछ रहा था। अतिथियों के लिये सोफे कहां लगायें ये सबसे बडा सवाल था। कभी सोफे अंदर तो कभी बाहर हो रहे थे। क्योंकि कोई कहता अंदर लगाओ तो कोई कहता बाहर लगाओ। ऐसे में सबसे अच्छा ये कि दोनों जगह लगा दिये गये और कार्यक्रम का शुभारंभ हर बार की तरह मोदी जी को अपने लंबे भापण के साथ करनी थी तो उसे सुनने और देखने के लिये एलईडी भी लगती है। तो सोफा और एलईडी के दो सेट दो जगह लगा दिये गये थे। उधर इस सब से बेपरवाह मीडिया के लोकल रीजनल और नेशनल चैनल के ढेरों कैमरामेन पीठ पर बैक पैक लादे और हाथों में रंग बिरंगे माइक पकडे रिपोर्टर बदहवासी में भाग रहे थे। हमारे पास हर घडी एक नयी फरमाइश आ रही थी। पहले उसे पकडो जिसे सबसे पहले टीका लगना है। वो अभी आया नहीं तो दूसरे को पकडो जिसे दूसरा टीका लगना है वोेे भी नहीं मिल रहा तो छोडो लाइव फ्रेम देकर खडे हो जाओ। आइये चलते हैं हमारे संवाददाता के पास हमीदिया अस्पताल बताइये क्या माहौल है वेक्सीनेशन को लेकर और हमारे साथी उस बदहवासी के माहौल में भी उत्साह तलाश कर उसका बखान लगातार कर रहे थे। इस बीच में वक्त काटने के लिये हम मीडिया वालों को मिल गये हमारे युवा चिकित्सा मंत्री जो मीडिया से दोस्ताना संबंध रखते हैं। और हम सब एक एक कर उनको लाइव में सवाल जबाव करने लगे। हमारे मंत्री जी के सारे जबाव मोदी जी से शुरू होकर शिवराज जी पर खत्म होते रहे।
इस बीच में साइरन के आवाजों के साथ मुख्यमंत्री आयोजन स्थल पर आते हैं और दोनों मंत्रियों से हल्की सी चर्चा कर बैठ जाते हैं बाहर लगे सोफे पर जहां पर लगी एलईडी पर प्रधानमंत्री मोदी जी का उदबोधन शुरू हो जाता है। मुख्यमंत्री का लगातार कवरेज करने के लिये वहां मौजूद मीडिया तीन हिस्सो में बंट जाता है आधा दायें आधा बाये ंतो बचा खुचा सामने घुटनों के बल। करीब चालीस मिनिट के भाषण में मोदी जी कोरोना काल की साल भर पुरानी बातें याद दिलाकर वैक्सीन की उम्मीद पर बात खत्म करते हैं। भापण खत्म होते ही मुख्यमंत्री तेजी से उठते हैं और वैक्सीन लगाने वाले कक्ष में पहुंचते हैं जहां उनकी मौजूदगी में गर्मजोशी के साथ हमीदिया अस्पताल के वार्ड बाय संजय यादव की बाहों में वैक्सीन लगती है, मुख्यमंत्री उसे बधाई देते हैं हौसला बढाते हैं और बाहर इंतजार कर रहे अनेक कैमरों के सामने बाइट या बयान देकर इस अभियान पर खुशी जाहिर कर निकल पडते हैं।
अब मीडिया का काम सबसे पहले वैक्सीन लगने वाले संजय की तलाश का होता है। जिसे सीएम के सामने टीका लगा। आधे घंटे बाद वो निकलता है और कैमरामेन रिपोर्टरां की भीड उस पर तकरीबन टूट सी पडती है एक्सकलुसिव वन टू वन करने के लिये। अचानक मिली और बिना मांगे मिली इस प्रसिद्वी से संजय भारी घबडा जाता है वो कुछ बोल नहीं पाता क्योंकि एक के बाद लगातार उससे सवाल पूछे जा रहे होते हैं। थोडी देर बाद ही डाक्टरों के इशारे पर उसे अस्पताल के गार्ड उसे घेरकर कैंपस से बाहर ले जाते हैं। और थोडी देर बाद ही यहां पर तमाशा थमने लगता है।
मेरे दिमाग में फिल्म पीपली लाइव का ये गाना फिर बजने लगता है,,, राई पहाड है कंकर शंकर, बात है छोटी बडा बतंगड, इंडिया सर ये चीज धुरंधर,,,