कुछ नहीं भिया बस डैम पर मॉक ड्रिल थी

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राजेश ज्वेल

आजादी महोत्सव के मद्देनजर सरकार बहादुर को सूझा कि कुछ तूफानी करते हैं ..अभी तक एयरपोर्ट, मांगलिया डिपो और शॉपिंग मॉल में ही मॉक ड्रिल होती रही तो दूसरी तरफ डीआरपी लाइन पर पुलिसिया बलवा परेड … थका -मांदा मीडिया कब तक इनकी चिरकुट रिपोर्टिंग करता .. लिहाज़ा आज़ादी के अमृत महोत्सव मौके पर थ्रिल वास्ते कारम डैम को मॉक ड्रिल के लिए चुना गया…सरकार बहादुर और उसकी मुस्तैद टीम ने साबित कर दिया की किसी डैम के भर जाने के बाद उसे सफलतापूर्वक खाली भी किया जा सकता है … 18 गांव आनन -फानन कैसे खाली करवाएं जा सकते है , उसका अभ्यास तो किया ही ,साथ में वहा रहने वाले हजारों नागरिकों के रहने/खाने की शानदार व्यवस्था करवाते हुए उनकी पिकनिक मनवाई गई..

एक अफसर ने आलू-टमाटर की सब्जी अच्छी बनाई तो दूसरे अफसरान भी अपने अनुभवों की पूडिया तलते रहे… मंत्रीगणों ने टेबल -कुर्सी लगाकर माटसाब की तरह बैठने के अलावा हवाई सफर भी किया ताकि सनद रहे कि सब कुछ हवाई नहीं है.. दिल्ली दरबार का भी चूंकि रहमो करम पूरा था.. इसलिए फिकर नॉट रही और फिर सब चंगासी हो ही गया…जनसंपर्क विभाग के दोपहरिया प्रेस नोट ने डैम के निकलते पानी का फोटो जारी कर सबके चेहरे पर मुस्कान ला दी थी तो रात को ये मुनादी भी डंके की चोट पर हो गई कि सब खैरियत है.. ठेकेदार का नागरिक सम्मान बनता है…

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जिसने इतना मजबूत डैम बनाया कि निर्माणाधीन और भरपूर पानी भरने पर भी भरभराया नहीं…मामाजी को आपदा प्रबंधन से निपटने का एक और सर्टिफिकेट मिल गया… कोई फिल्मी डायलॉग थोड़े बोला था… मैं हू ना…! कुल मिलाकर भिया डैम की मॉक ड्रिल सफ़लतापूर्वक निपट गई… उन दिलजलों का कुछ नहीं कर सकते जो इसे असल मानते है… इसलिए लोड मत लो.. आओ सब मिलकर तिरंगा फहराए और अदम गोंडवी साहब को गुनगुनाएं….! वंदे मातरम्..