मुख्यमंत्री को कोई जनप्रतिनिधि नहीं बताएगा व्यापारी संगठनों में असंतोष क्यों है?

Suruchi
Published on:

कीर्ति राणा

अहिल्या लोक की सौगात देने की घोषणा करने वाली सरकार से किसी जन प्रतिनिधि की यह कहने की हिम्मत नहीं है कि इस सौगात की घोषणा के बाद से क्षेत्र के व्यापारिक संगठनों में असंतोष की आग भड़क रही है। मुख्यमंत्री को खुद इस क्षेत्र के व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधियों और शहर के प्रबुद्धजनों से संवाद कर के यह समझना चाहिए कि राजवाड़ा के आसपास अहिल्या लोक निर्माण को लेकर क्या परेशानी है।यदि आमराय स्थान परिवर्तित करने वाली हो तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए।

हाल ही में सरकार ने पंचायत लगाई और पथ विक्रेताओं के हित की कई घोषणाएं की हैं।अब ऐसे में राजवाड़ा क्षेत्र में अहिल्या लोक योजना के क्रियान्वयन से लोगों का धंधा, व्यापारियों का कारोबार चौपट होने का संकट गहराएगा तो अगले छह महीनों में क्या स्थिति बन जाएगी। उज्जैन में महाकाल लोक निर्माण की जो धांधलियां आंधी ने उजागर कर दी है उसके बाद यहां उठ रहा असंतोष कहीं बवडंर का कारण ना बन जाए।
‘हिंदुस्तान मेल’ न तो सरकार का और न ही जन हितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन का विरोधी है।

इस शहर के प्रति बाकी नागरिकों की तरह हमारी भी जिम्मेदारी है।हां में हां मिलाने वाले प्रतिनिधि तो आप तक सच पहुंचाने की हिम्मत करेंगे नहीं। अहिल्या लोक का निर्माण होना चाहिए किंतु व्यापक जनहित में इसका स्थान बदला जाए तो भी ये तो पूरी नगरी है तो अहिल्या की ही। इस क्षेत्र में व्यापार कर रहे संगठनों के प्रतिनिधियों ने जरूर थोड़ी हिम्मत दिखाई है कि राजवाड़ा क्षेत्र में अहिल्या लोक निर्मित किए जाने पर आसपास का क्षेत्र ‘नो वीकल झोन’ किए जाने से उनका व्यापार-धंधा चौपट हो जाएगा।यही नहीं ट्रैफिक अन्य कनेक्टिव रोड पर डायवर्ट करने से उन क्षेत्रों में आए दिन परेशानी बढ़ जाएगी।

महापौर को यूं तो नगर के प्रथम नागरिक का दर्जा प्राप्त है लेकिन ये बात समझ से परे है कि जो बात व्यापारिक संगठनों ने उन्हें समझाई वो पहले ही उनकी समझ में क्यों नहीं आई, उनकी सलाहकार मंडली में शहर की नब्ज समझने वालों का संकट है ? मान लिया जाए कि कृष्णपुरा छतरी से लेकर खजूरी बाजार और सराफा कार्नर तक का क्षेत्र अहिल्या लोक योजना के लिए चिह्नित किया जाता है तो जाहिर है बिना चौड़ीकरण, नव निर्माण के तो पूरा लोक बनना नहीं है।इस पूरे क्षेत्र में सैकड़ों बड़े और हजारों खुदरा कारोबारी है। साथ ही फुटपाथ पर, ठेले पर सामान बेचने वाले हजारों लोग हैं। क्या गारंटी है कि इन्हें हटाए-खदेड़े बिना सरकार अहिल्या लोक का अपना सपना पूरा कर सकेगी।

अभी जितने भी जनप्रतिनिधि इस लोक को लेकर जय जयकार कर रहे हैं न तो उनकी इस इलाके में पुश्तैनी दुकानें हैं और ना ही उनके रिश्तेदार राजवाड़ा के आसपास फुटपाथ पर सामान बेच कर गुजरबसर करने की स्थिति में है।इसलिए भी उन्हें इस क्षेत्र के दुकानदारों की व्यावहारिक दिक्कतें आसानी से समझ आना नहीं है। अहिल्या लोक के माध्यम से यदि अहिल्यादेवी की शासन व्यवस्था को दर्शाने को मूर्तरूप देना है तो यह भी समझना होगा कि होल्कर वंश ने उजाड़ कर नहीं अनेक शहरों के लोगों को उनकी कार्यकुशलता का सम्मान करते हुए इंदौर के विभिन्न क्षेत्रों में बसाने के लिए आमंत्रित किया था।

ताज्जुब इस बात का भी है कि अहिल्या देवी के आदर्शों का गुणगान करते लगातार चुनाव जीतती रहीं और इसी क्षेत्र में निवास करने वालीं सुमित्रा ताई ने भी सरकार को समय रहते समझाने में सजगता नहीं दिखाई।यदि सरकार को क्षेत्र के व्यापारियों की परेशानी समझाने की गंभीरता से पहल हुई होती तो इस क्षेत्र में इसके निर्माण से व्वापार चौपट होने को लेकर विरोध की सुगबुगाहट शुरु नहीं होती।ऐसा भी नहीं कि शिवराज सिंह हठीले हैं, जन भावना मुताबिक फैसले लेने वाले संवेदनशील मुख्यमंत्री के रूप में उनकी पहचान यूं ही नहीं बनी है, जन प्रतिनिधि उन्हें व्यापारी वर्ग की परेशानी बताए और वो निर्णय में रद्दोबदल नहीं करें यह असंभव ही है।

▪️विकल्प हो सकता है लालबाग परिसर

राजवाड़ा नहीं तो फिर कहा? इसका आसान विकल्प है लालबाग परिसर। होल्कर रियासत से जुड़े लालबाग परिसर में पर्याप्त और हर लिहाज से सुरक्षित जमीन भी है जहां बिना कोई तोड़फोड़, मुआवजा राशि खर्च किए बिना अहिल्या लोक को भव्यतम रूप में स्थापित किया जा सकता है।यहीं से महेश्वर-ओंकारेशर दर्शन के लिए सीधी बस सेवा भी शुरु की जा सकती है।इस परिसर का बेहतर उपयोग तो होगा ही बाहरी आम रास्तों पर आज की तरह ट्रैफिक भी चलता रहेगा, क्षेत्र को नो-वीकल जोन करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।