हिन्दू धर्म के पौरणिक त्यौहार शारदीय नवरात्रि का पर्व इस वर्ष 26 सितंबर, सोमवार से प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। अश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू होकर 5 अक्टूबर को दशहरा पर समापन होगा। शक्ति आराधना के लिए नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व होता है।
नवरात्रि पर्व देश भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन देश के अलग अलग हिस्सों में इसे अलग अलग अंदाज़ से भी मनाया जाता है. जैसे पश्चिमी राज्य गुजरात की बात करें तो यहाँ नवरात्रि दस दिनों की देवी पूजा के साथ प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में पंडाल सजाएं जाते है जहाँ गुजरती लोग बड़े ही धूम धाम से गरबा करते है।
नवरात्रि का पर्व एक वर्ष में चार आता है जिसमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है। जिस तरह ये त्यौहार खास है उसी तरह इसकी पूजा का तरीका भी काफी अलग है. नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। आपको बता दें इस बार शारदीय नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी और माता दुर्गा स्वर्गलोक से गज की सवारी करते हुए पूरे नौ दिनों तक अपने भक्तों के बीच रह कर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करेंगे। इस बार शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना के दिन बेहद ही शुभ और दुर्लभ योग बन रहा है।
नवरात्रि पर्व पर घटस्थापना एवं कलश स्थापन करने के लिए शुभ मुहूर्त –
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त –
●प्रातः 04.29.29 से 05.41.59 तक
(ब्रह्मवेला+स्थिर सिंह लग्न नवांश+शुभ चौघड़िया)
●प्रातः 07.37.40 से 07.47.11 तक
(ब्रह्मवेला+द्विस्व. कन्या लग्न नवांश+अमृत चौघड़िया)
●प्रातः 11.51.42 से दोप. 12.22.18 तक
(अभिजित+स्थिर वृश्चिक लग्न)
चौघड़िया से –
●प्रातः 04.47 मि. से 06.17 मि. तक(शुभ)
●प्रातः 06.18 मि. से 07.47 मि. तक(अमृत)
●प्रातः 09.16 मि. से 10.46 मि. तक(शुभ)
●दोप. 01.45 मि. से 03.14 मि. तक(चर)
●दोप. 03.15 मि. से 04.44 मि. तक(लाभ)
●दोप. 04.45 मि. से सांयः 06.13 मि. तक(अमृत)