खरीफ सीज़न में फसल बीमा के बारे में किसानों को जागरूक करने हेतु क्षेमा जनरल इंश्योरेंस का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू

ravigoswami
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क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड ने देश में अपनी पहुँच का विस्तार करने के लिए एक सार्थक अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य खरीफ सीज़न शुरु होने पर किसानों को फसल बीमा के बारे में जागरूक करना है। यह संपूर्ण अभियान एक टीवी विज्ञापन पर आधारित है, जो मानसून के आगाज़ के साथ बुआई शुरू करते ही किसानों तक पहुँच जाएगा। यह टीवी अभियान प्रिंट, डिजिटल और आउटडोर मीडिया में अतिरिक्त अभियानों के समर्थन से चलाया जा रहा है। यह अभियान किसानों को बताता है कि वित्तीय सुरक्षा के रूप में फसल बीमा का क्या महत्व है, खासकर तब, जब जलवायु घटनाएँ चरम पर हैं और लगातार तीव्र होती जा रही हैं।

30 सेकंड के टीवी विज्ञापन को क्षेमा की इन-हाउस टीम ने बनाया है। इसका उद्देश्य किसानों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना और क्षेमा की अभिनव फसल बीमा योजना, सुकृति और प्रकृति तक आसान पहुँच सुनिश्चित करना है। यह उत्पाद क्षेमा के प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, जिसे गूगल प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। बीमा योग्य आय वाला कोई भी किसान या परिवार का सदस्य फसल बीमा को खरीद सकता है, जिसकी शुरुआती कीमत 499 रुपए प्रति एकड़ है। एक बड़ी और एक छोटी आपदा के संयोजन से यह बीमा 100 से अधिक फसलों को कवर करता है। इसके लिए आपको ऐप डाउनलोड करके अपना पंजीकरण करना होगा, अपने खेत को जियो-टैग करना होगा और प्रीमियम का भुगतान करना होगा।

टीवी विज्ञापन के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए, भास्कर ठाकुर, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर, क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड, ने कहा, “मुझे खुशी है कि हम इस टीवी विज्ञापन के माध्यम से फसल के नुकसान और आय की क्षति को कम करने में फसल बीमा की उपयोगिता बता रहे हैं और किसानों को इसके बारे में जागरूक कर रहे हैं। यह टीवी विज्ञापन पिता और बेटी के खूबसूरत रिश्ते की कहानी पर आधारित हम मानते हैं की प्रदर्शित किया गया पिता और बेटी का भावनात्मक रिश्ता, किसानों को प्रभावित करेगा और उन्हें वित्तीय सुरक्षा का महत्व समझाने में कारगर सिद्ध होगा। बच्चे अक्सर बेहद सरलता से दिल छू लेने वाले ऐसे प्रश्न पूछ बैठते हैं, जो हमें कहीं न कहीं गहराई से विचार करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि हमने फसल बीमा खरीदी का संदेश देने के लिए इस रिश्ते को चुना, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले वित्तीय नुकसान को कम किया जा सके।