MP News : भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के भोपाल आगमन पर दल बदलू मंत्रियों को बुलाकर उनसे अलग से चर्चा की गई और उनसे पूछा गया कि भाजपा में आने के बाद आपको क्या अंतर लग रहा है।तभी एक सागर से जुड़े मंत्री ने कहा कि कांग्रेस में हम अपने क्षेत्र व जिले के फैसले खुद लेते थे और भाजपा में आने के बाद हम बेहद परेशान हैं , हमें अपने क्षेत्र व जिले के छोटे-मोटे फैसले को लेकर भी सभी से पूछना पड़ता है और सभी को राजी करना पड़ता है।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के दौरे के दौरान संभागवार बैठकों में विधायकों ने सरकार और नेतृत्व के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला , काम नहीं होने की व अफ़सरशाही के हावी होने की जमकर शिकायत की। बदले में दूसरे दिन उन्हें जवाब दिया गया कि विधायक रोज कागज लाते हैं और कागज भी ट्रांसफर पोस्टिंग के ही लाते है।यदि उनके अनुसार काम कर दिया जाए तो न स्कूलों में मास्टर बचेंगे और ना अस्पतालों में डॉक्टर।विधायकों को ऐसा कहकर निशाना बनाया गया लेकिन विधायक इस टिप्पणी से बेहद नाराज बताए जा रहे हैं और विधायक इस अपमानजनक टिप्पणी पर जवाबी मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे है।
मुख्यमंत्री जी ने इंदौर में मीडिया के सवालों पर कहा कि सरकार के प्रवक्ता मंत्री मौजूद हैं ,जब वह रहते हैं तो मैं कुछ नहीं बोलता हूँ। जबकि सभी उनका प्रचार प्रेम भलीभाँति जानते है।वास्तव में उनकी यह टिप्पणी एक तंज के रूप में थी क्योंकि सभी इस सच्चाई को जानते हैं कि उक्त प्रवक्ता मंत्री जी को रोकने के लिए उन्होंने अपने दो खास मंत्रियों की और एक भोपाल के बड़बोले विधायक की तैनाती कर रखी है।जो रोज सुबह उठकर प्रवक्ता मंत्री के पहले ही सारी दुकान लूटने की तैयारी में लग जाते है।
प्रधानमंत्री के भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में संबोधन से सभी को यह समझ में आ गया कि उनकी प्रदेश में पहली प्राथमिकता , उनके ही प्रदेश से जुड़े एक सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति हैं।जिनको उन्होंने अपने संबोधन में अतिरिक्त महत्त्व दिया ,उसी से सभी को उनका इशारा समझ में आ गया।इसके परिणाम भी अब देखने में आ रहे हैं। उनका प्रदेश के फैसलो में हस्तक्षेप व कई महत्वपूर्ण फैसलों में सीधी भूमिका अब दिख रही है।इससे समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में दिल्ली की पहली पसंद कौन है।
पिछले दिनों प्रदेश से कोरोना के तमाम प्रतिबंध हटाए जाने का निर्णय होना था। प्रदेश के भोपाल से जुड़े एक मंत्री पूरी तैयारी कर बैठे थे कि यह घोषणा वह करेंगे।घंटों उन्होंने मीडिया को अपने पास बिठाये रखा कि सरकार यह निर्णय ले रही है और उस पर वो ही मीडिया को सबसे पहले जानकारी देंगे लेकिन उनके अरमान उस समय आँसू में बह गये जब उन्हें यह पता चला कि मुख्यमंत्री ख़ुद ही जनता के नाम संदेश जारी कर यह जानकारी देंगे।
भाजपा आदिवासी वर्ग को लुभाने व साधने के लिए तमाम आयोजन प्रदेश में कर रही है और उसकी हवा उस समय निकल गई जब भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री की मंत्रियो की महत्वपूर्ण बैठक में , दूसरे मंत्री तो पहुंचे लेकिन आदिवासी मंत्रियों ने ही उस बैठक से दूरी बना ली।इससे आदिवासी मंत्रियो की नाराज़गी समझ में आ रही है।
भाजपा के प्रवक्तागण आजकल बहुत परेशान चल रहे हैं।पार्टी ने उन्हें पार्टी का पक्ष रखने की जवाबदारी दी है लेकिन वो क्या करें उनके पक्ष रखने के पूर्व ही भाजपा सरकार के प्रवक्ता मंत्री नियमित रूप से प्रतिदिन हर मामले पर पक्ष रख देते हैं और बची खुची कसर भाजपा के दो अन्य मंत्री और एक भोपाल के विधायक हर मामले में पक्ष रखकर निकाल देते है।
बेचारे प्रवक्ताओं का नंबर ही नहीं आ पाता है और बेचारे मन मसोस कर रह जाते हैं कि आख़िर शिकायत भी करे तो किससे ?