भोपाल। कोरोना कारण लगे लाॅकडाउन के कारण देशभर में आर्थिक गतिविधियां बंद थी जिसका असर राज्यों की आय पर भी पड़ा। राज्य की आय की दोबारा नियंत्रित करने के लिए सरकार ने शराब के ठेकों को सशर्तें खोलने की अनुमति दे दी थी। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार को शराब ठेकों से लगभग कुल राजस्व का 17 प्रतिशत राजस्व हर साल मिलता है।
मध्यप्रदेश में शराब के ठेकों को लेकर सरकार और ठेकेदारों का विवाद कोर्ट तक जा पहुंचा था जिस पर आज कोर्ट ने अपना आखिरी फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि पूर्व में आबंटित ठेकों के लिए दोबारा ऑकशन करने की आवश्यकता नहीं है। ठेकेदार चाहें तो सरकार के समक्ष ठेके की अवधि दो माह के लिए बढ़ाए जाने का आवेदन कर सकते हैं, जिसके लिए सरकार ने स्वयं ही स्वीकृति प्रदान की है।
बता दें कि प्रदेश के अनेक ठेकेदारों ने उच्च न्यायालय में लगभग 3 दर्जन से अधिक याचिका प्रस्तुत करते हुए यह कहा था कि मार्च माह के अंत तक जब ठेके इत्यादि में उनके द्वारा भाग लिया गया था। उस समय कोरोना की इतनी भयानक स्थिति नहीं थी। जिस बढ़ी राशि पर उन्होंने ठेके लिए हैं। वह अधिक है और इसलिए कोविड-19 की स्थित को देखते हुए उन्हें ठेके से बाहर आने दिया जाए और उनके द्वारा जमा धरोहर राशि वापस प्रदान की जाए और शराब के ठेकों को पुनः ऑकशन किया जाए।