इंदौर : मध्यप्रदेश में 28 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों द्वारा नाम वापस लिए जाने के संबंध में सोमवार का दिन आख़िरी दिन था. सोमवार को ही उपचुनाव के लिए मैदान में उतर रहे उम्मीदवारों की तस्वीर भी साफ़ हो गई. अब 28 विधानसभा सीटों के लिए कुल 532 मान्य प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं 74 उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त किए गए हैं. जबकि 3 चेहरे ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से अपना नाम वापस ले लिया.
मेहगांव विधानसभा सीट पर सबसे अधिक उम्मीदवार, नेपानगर सीट पर सबसे कम
28 विधानसभा सीट में से सबसे अधिक उम्मीदवारों वाली सीट मेहगांव की है. जबकि शिवराज सरकार में मंत्री गोविदं सिंह राजपूत के सामने कुल 28 उम्मीदवार मैदान में हैं. वे सुरखी से चुनावी मैदान में हैं. एक विधानसभा सीट से सबसे कम प्रत्याशी की बात की जाए तो उस सीट का नाम है नेपानगर. जहां से केवल 7 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
कांग्रेस-भाजपा में सीधी टक्कर…
सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी और मुख़्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच सभी 28 सीटों पर सीधा मुकाबला है. जबकि अन्य दलों या निर्दलीय उम्मीदवारों का नंबर बाद में आता है. हालांकि इन दोनों ही पार्टियों को मायावती की पार्टी बसपा से टक्कर मिल सकती है. बसपा ने सभी 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. इनमे से माना जा रहा है कि बसपा ग्वालियर-चंबल की करीब 10 सीटों पर गहरा प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहेगी.
28 में से 27 सीट कांग्रेस की थी…
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन से पहले 28 में से महज एक सीट को छोड़ दिया जाए तो सभी सीटों पर कांग्रेस पार्टी का ही कब्जा था. ऐसे में यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि सत्ता में वापसी के लिए लगभग सभी सीटों पर कांग्रेस को अपना झंडा लहराना होगा. जो कि भारतीय जनता पार्टी के सामने मुश्किल नज़र आता है. हालांकि फिर भी कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है. इसकी तस्वीर 10 नवंबर को ही साफ़ होगी जब चुनाव के नतीजे आएंगे.
ऐसे समझें मध्यप्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों का गणित…
मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं. किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की आवश्यकता होती है. हालिया तस्वीर की बात की जाए तो इस समय मुख़्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास कुल 88 तो सत्ता दल भारतीय जनता पार्टी के पास 107 सीटें या विधायक है. जबकि सपा-बसपा और निर्दलीय विधायक नतीजे आने के बाद किसी भी ओर करवट लें सकते हैं. बता दें कि अभी सपा के पास 1 जबकि बसपा के पास दो सीटें हैं. वहीं 4 विधायक निर्दलीय है. इस तरह कुल 202 सीटों के विधायक तय है और 28 सीटों के लिए ये उपचुनाव हो रहे हैं. अब सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को सभी 28 सीटों पर चुनाव में जीत दर्ज करना होगी. तो वहीं भाजपा को इसके लिए महज 9 सीटें चाहिए.
क्यों बनी उपचुनाव की स्थिति ?
आपको ज्ञात हो कि इस साल मार्च माह में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था. वहीं उनके बाद उनके समर्थित 22 विधायकों ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इसका नतीजा यह हुआ कि कमलनाथ की 15 माह की सरकार अल्पमत में आकर धराशायी हो गई. इसके बाद जुलाई माह में कांग्रेस के तीन और विधायकों ने भी त्याग पात्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया. जबकि इस दौरान 3 अन्य विधायकों का निधन हो गया. ऐसे में अब खाली हुई इन 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं.
इन 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव…
सांवेर, सुर्खी, मेहगांव, मलहरा, नेपानगर, सांची, गोहद, ग्वालियर पूर्व, मुरैना, जौरा, उबरा, पोहरी, अंबाह, भांडेर, मुंगावली, करैरा, दिमनी, हाटपिपल्या, बमोरी, अशोकनगर, सुवासरा, ग्वालियर, अनूपपुर, अगर-मालवा, ब्वयावरा, मांधाता और बदनावर.