जयप्रकाश
दुनियाभर की निगाह रुस यूक्रेन युध्द पर लगी हुई है। अगर बात करें रूस की तो रूस परंपरागत रूप से भारत का दोस्त रहा है और संकट के कई अहम मौकों पर रूस ने भारत के साथ अपनी मित्रता का फर्ज अदा किया है। इन्हीं संबंधों को देखते हुए भारत सरकार ने रूस यूक्रेन युध्द पर किसी भी तरह की बयानबाजी से परहेज करता है। मगर भारत के टीवी चैनलों ने रूस युक्रेन युध्द की कवरेज में सभी हदी और मर्यादाओं को ताक पर रख दिया। हालात इतने खराब हो गए कि रूस ने भी भारत सरकार से आग्रह किया कि कुछ भारतीय टीवी चैनलों व्दारा युध्द की कवरेज को इस तरह से दिखाया जा रहा है जिससे प्रतीत होता है कि युद्ध के लिए केवल और केवल रूस ही जिम्मेदार है। जबकि तथ्य और हकीकत उससे जुदा है।
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भारत में मीडिया स्वतंत्र है और वह खबरों को अपने हिसाब से दिखाने या यो कहें कि अपनी सुविधा और लाभ के हिसाब से दिखाने में ही अधिक रुचि रखता है। हाल ही में टीवी 9 भारत वर्ष एवं रिपब्लिक टीवी चैनल ने रूस यूक्रेन युध्द की कवरेज को इस तरह से दिखाया कि सारी दुनिया को लगा कि रूस अब एटम बम गिराएगा तब गिराएगा। रिपब्लिक टीवी चैनल की एक अति उत्साहित और नवोदित टीवी पत्रकार तो युध्द की कवरेज करते वक्त यह भी भूल गई कि वह युष्ट की रिपोर्टिंग कर रही है, न कि किसी बारात में नृत्य कर रही हैं। इस तरह की हास्यास्पट रिपोर्टिंग से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय टीवी चैनलों में स्वयं के बनाए और सरकार के बनाए गए दिशा निर्देशों की किस तरह से धज्जियां उड़ाई है। टीवी 9 भारत वर्ष में लगातार रूस के खिलाफ इस तरह की खबरों को जमकर प्रसारित किया जिससे लगा कि रूस के गिराए गए एटमबम की चपेट में अब सारी दुनिया आने वाली है।
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रूस के खिलाफ जबरदस्त तरीके से एक तरफा रिपोर्टिंग से यहीं सिध्द होता है कि इन टीवी चैनलों ने शायद अमेरिका या नोटा से रूस के खिलाफ सुपारी ले रखी है। अगर बात करें भारत सरकार की तो सामरिक दृष्टिकोण से उस भारत का एक बड़ा मित्र है जिनसे कई अवसरों पर भारत की सेना की मदद की है। ऐसे में जब टीवी-9 और रिपब्लिक टीवी चैनल ने युद्ध की रिपोर्टिंग की एक तरफा खबरों को लेकर अपना प्रसारण जारी रखा तो भारत सरकार को इन टीवी चैनलों के लिए एक एडवाइजरी जारी करनी पड़ी।
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इस एडवाइजरी में भारत सरकार ने सख्ती के साथ कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध की कवरेज करते वक्त यह टीवी चैनल कानूनों और आचार संहिता का तनिक भी पालन नहीं कर रहे यह टीवी चैनल जिस तरह से खबरों को हाइबरनोलिक स्टाइल बढ़ाकर पेश करना में चला रहे है वह गंभीर चिंता का विषय है। वास्तव में यह टीवी 9 एवं रिपब्लिक टीवी चैनलों की यह प्रवृति चिंताजनक तो है ही साथ ही भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए अत्याधिक चिंता का विषय भी है। क्योंकि लोकतांत्रिक देश में जनता मीडिया की खबरों को नितांत सत्य मानती है जबकि असत्य खबरों का लगातार प्रसारण इन चैनलों व्दारा धड़ल्ले से किया जा रहा है।
मीडिया की स्वतंत्रता का यह कतई अर्थ नहीं है कि आप खबरों को केवल और केवल अपने हिसाब के मुताबिक ही चलाते रहे। भारत में टीवी चैनलों के संगठनों ने स्वयं अपनी आधार सहिता बना रखी है जबकि सूचना प्रसारण मंत्रालय एवं भारत सरकार के दिशा निर्देश भी चैनलों के लिए तय किए गए हैं। मगर लगता है टीवी-9 भारत वर्ष एवं रिपब्लिक टीवी जैसे चैनलों में सभी मर्यादा और आचार संहिता को ताक पर रख दिया है। दो देशों के बीच होने वाला युध्द किन परिस्थितियों में हुआ उसके लिए कौन जिम्मेदार है, कौन कितना दोषी है, कौन कितने नुकसान में है, कौन पूरी दुनिया में खलनायक बन चुका है।
यह तय करने का अधिकार भारतीय टीवी चैनलों को किसने दिया। अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के टीवी चैनल भी इस युद्ध को लेकर इस दृष्टिकोण से कवरेज नहीं कर रहे जिससे अर्धसत्य साफ प्रतित होने लगे। चैनली द्वारा परमाणु हमले के झूठे दावे करना, उकसाने वाले गैर जरूरी और मनगढंत पैकेज दिखाना अतिशयोक्तिपूर्ण बातें करना। दर्शकों को झूठी खबरे परोसना भड़काने वाली डिबेट करना यही सिद्ध करता है कि यह चैनल रुस यूक्रेन युद्ध के मध्य एक तरफा कवरेज दिखाने का काम है। इस व्यवहार से इन दोनों टीवी चैनलों की साख एवं प्रतिष्ठा पर धब्बा लगा है। टीवी-9 भारत वर्ष एवं रिपब्लिक टीवी चैनलों को तो शायद इन बातों से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा मगर एक बात सोलह आने तय है कि दर्शकों का भरोसा टीवी चैनलों से उठ जाएगा।