प्रसाधन

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By Ayushi JainPublished On: November 8, 2020
dheryashil

हैरान है ,परेशान है
क्या करें ,क्या न करें
इसी ऊहापोह में
कुछ सहायता मिल जाये
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है ।

छोटे लोगो की
छोटी समस्याएं
लगती उन्हें पर्वत सी
हो निदान शीघ्रता से
इसी आशय से
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है ।

सीमांत किसान
अंत के करीब
दिहाड़ी मजदूर
दहाड़े मारता
जिनके आँसू
छुप जाते है
पसीने में ,
मिले कुछ राहत
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है ।

जिले से शुरू परिक्रमा
राजधानी तक पोहच
कर भी , अंतहीन है
करने अंत उसका
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है ।

इन्हें सुना ,उन्हें सुना
सुना सुना कर
काम भले ही न हुआ
पर मन हल्का हो गया
बताने ये बात
लगाया फोन साहब को
जवाब मिला
साहब बाथरूम में है ।

कितनी भग्यशाली व
ऐश्वर्य लिए है
साहब की बाथरूम
जो निरंतर उन्हें सुख दे
सानिध्य पाती है
साहब के बाथरूम
से भी छोटे
घरों में रहने वाले क्या जाने
कितना सुख बाथरूम में है ।

एक हम है
जो निकलते है अपनी
बाथरूम से ,समस्या सोच कर
दूसरे दिन प्रातः
उसी अनसुलझी समस्या
के साथ होते है अपनी
बदनसीब बाथरूम में ।
दोष हमारा नही
दोष हमारे बाथरूम में है ।

धैर्यशील येवले इंदौर