आंदोलनकारी कभी नहीं हारते विलम्ब चाहे जितना हो जाए, वे जीतते हैं, जीतेंगे – सुरेश पटेल

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By Ayushi JainPublished On: January 30, 2021

हम किसान के बेटे हैं, किसान परिवार का होने के नाते हमारे परिवार का कृषि,बाजार एव सरकारी अफसरोंं एवं नेताओं से तीन पीढ़ियों का नाता है ।हमारे अनेक साथी किसान के बेटे हैं और किसान का दुख जानते हैं पर आज हम राजनैतिक बिचारधाराओं में बँट गए हैं और अपने पूर्वजों से अब तक का कठिन सफर भूल गए है। अब हम सुविधाजनक स्थिति में हैं । अब हमारे लिए सच की बजाय राजनैतिक प्रतिबद्धता बड़ी लगती है ।

जिन राजनीतिज्ञों ने चाहे वे किसी पार्टी के हों हमे कभी आगे नहीं बढ़ने दिया। हम उनके लिए वोट से ज्यादा कुछ नहीं रहे ,ये कौन किसान का बेटा नहीं जानता। आज भी किसी कार्यालय में घुस जाइये ये अफसर बाबू हमारे बाप दादाओं को कैसे दुत्कारते हैं। हम उन्ही के साथ है और अपने पुरखों को गालियां दे रहे है जो नंगे बदन पसीने से सरावोर होकर अन्न उपजाते रहे हैं। उनका पिज्जा खाना ट्रैक्टर पर चलना या अच्छे बिस्तर पर सोना हमारी आँखों को खटक रहा है।

जैसे उनकी कमाई पर बाकी सब ऐश करें और वह फटेहाल बना रहे । हम सब किसान को भुख से तड़पते, नंगे पैर ही देखना चाहते हैं। इस आंदोलन में यदि वे अच्छी तरह खा पी रहे हैं तो अपनी और अपने बच्चों की मेहनत का खा रहे हैं। किसी से चोरी करके नहीं खा रहे हैं। उनके रहने खाने पीने पर इतना हल्ला हो रहा है और जो व्यापारी या नेता जनता के पैसे को खा रहे है बड़ी बड़ी गाड़ियों में चल रहे है, उनको मजाल है कि कोई एक शब्द पूछ लें।

हम कभी न कभी किसान या मजदूर या कम हैसियत के लोग रहे है।अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता को इतनी मजबूत न करें कि सब कुछ भूल जाएं । ये सब बदलती रहती हैं।कल जिसे आपने वोट दिया था वही कुछ दिन बाद दूसरी पार्टी में चला जाता है आपकी राजनैतिक प्रतिबद्धता धरी रह जाती है। यह किसान आंदोलन आंखे खोलने जैसा है। किसान की आंख में आंसू से भी हम द्रवित नहीं होते । उनकी आत्महत्याओं से द्रवित नहीं होते। हम चकाचोंध में अंधे ,बहरे,संवेदन हीन हो गए है। आंदोलनकारी कभी नहीं हारते विलम्ब चाहे जितना हो जाये….वे जीतते हैं…. जीतेंगे।