चैतन्य भट्ट
पता नहीं अपने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को शाहरुख़ खान, सलमान खान और आमिर खान से क्या दुश्मनी है जो उनके पेट में लात मारने की कोशिश कर रहे है अब आप सोचोगे कि कमलनाथ कैसे इन ‘हीरोस’ के पेट पर लात मार सकते है तो हम बतलाये देते हैं, दरअसल उन्होंने पूरे प्रदेश के ‘मामाजी’ यानी ‘शिवराज सिंह’ को सलाह दे दी है कि आप एक्टिंग में माहिर हो इसलिए आपको मुंबई चले जाना चाहिए, जब आप एक्टिंग करोगे तो तमाम एक्टर आपके सामने पानी भरते नजर आएंगे, वैसे सलाह तो कमलनाथ जी ने सही दी है मामाजी अभिनय के बेताज बादशाह तो हैं इसमें कोई संदेह नहीं हैंl
![कहो तो कह दूँ - क्यों 'सलमान' 'शाहरुख़' 'आमिर' के पेट पर लात मार रहे हो कमलनाथ जी 4 kamalnath](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2020/09/kamalnath-2.jpg)
जैसे फ़िल्मी अभिनेता किसी फिल्म में ‘गांव वाला’ बन जाता है तो किसी में ‘अमीर लड़का’, किसी में ‘पुलिस इन्स्पेक्टर’ बनता है तो किसी फिल्म में ‘गरीब मजदूर’, ऐसे ही अपने मामाजी हैं अभिनय के जितने आयाम होते हैं वे सब मामाजी को हासिल है कंहा टोपी पहनना है, कंहा भजन गाना है, कंहा डांस करना है, कंहा हाथ जोड़ना है, कंहा दंडवत लेट जाना है, कंहा आंसू बहाना हैं और कंहा हंसी मजाक करना है, कंहा सामने वाले को पटकनी देना है ये मामाजी भली भांति जानते हैंl
फिल्म में तो कई तरह के रोल करने के लिए कई अभिनेताओं की जरूरत होती है पर अपने मामाजी तो तमाम तरह के रोल अकेले करने में सिध्द हस्त हैं वे हीरो भी बन जाते है, साइड एक्टर भी, चरित्र अभिनेता भी और विलेन भीl वैसे कमलनाथ जी आप मध्य प्रदेश की राजनीति में फिसड्ड़ी क्यों रह गये इसका आपको गहन अध्ययन करना चाहिए, आपके पास एक्टिंग की वो बारीकियां नहीं थी जो अपने मामाजी के रग रग में बसी हुई हैं और फिर आजकल यदि आपको राजनीती करना है तो आपको एक्टिंग करते तो बनना ही चाहिए l
मामाजी ने पंद्रह साल इसी प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री बिताये हैं ऐसे ही नहीं गुजार दिए इतने साल, आप तो पंद्रह महीने में ही ‘फुस्स’ बोल गए इसमें मामाजी का नहीं आपका अपना दोष हैl राजनीती में एक्टिंग तो सबसे पहला गुण होता है और यदि आपमें वो नहीं था तो राजनीती करने क्यों आये थेl जनता को, वोटर्स को कैसे लुभाया जाता हैं, उससे झूठे वायदे कैसे किये जाते हैं, उसकी भावनाओं से कैसे खेला जाता हैं, उसको बेबकूफ कैसे बनाया जाता हैं ये हर सफल राजनेता को आता है और जो इस को नहीं समझ पाता वो आपके जैसे सत्ता से बेदखल हो जाता हैl
वैसी भी राजनीती में आप मामाजी के पासंग में नहीं हो, कंहा कब चोट करना है मामाजी बेहतर तरीके से जानते हैं है आप उन्हें मुम्बई जाने की सलाह दे रहे है यदि सचमुच उन्होंने आपकी बात मान ली तो समझ लो अक्षय कुमार, अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख़, सलमान, आमिर सबकी दूकान बंद हो जाएगी ,वैसे एक बात अपने दिल और दिमाग में बार बार आती है कि अकेले मामाजी ही क्यों सारे के सारे राजनैतिक दलों के नेता जिस तरह का अभिनय करते है उस हिसाब से अब ‘फिल्म फेयर’ अवार्ड नेताओ को देना चाहिए इतना ही नहीं ‘दादा साहेब फाल्के अवार्ड’ भी अब इन नेताओ के नाम कर देना चाहिए क्योकि फिल्म एक्टर तो एक फिल्म में एक्टिंग करता है पर ये नेता तो सारी जिंदगी एक्टिंग करते रहते है इसलिए ‘अभिनय सम्राट’ तो ये ही लोग है और पुरूस्कार के हकदार भीl
अब कुत्ते बिल्ली तक पंहुच गए
कांग्रेस के एक संत कहे जाने वाले नेता ने मध्यप्रदेश के उस नेता को ‘कुत्ता’ कह दिया जिसके कारण अपने कमलनाथ सरकार की ‘लाई लुट’ गयीl अपन तो सोच रहे थे कि चुनाव आयोग तत्काल से पेश्तर इस कांग्रेसी नेता पर कार्यवाही कर देगा पर उसके पहले ही जिस नेता को कुत्ता कहा गया था उसने घोषणा कर दी को हां वो कुत्ता है और जनता का कुत्ता है उसकी मालिक जनता है और जो भी उसके मालिक की तरफ उंगली उठाएगा वो उसको काट लेगा अभी तक चुनाव के दौरान रावण, विभीषण कुम्भकर्ण शकुनि जैसे शब्द प्रयोग में लाये जा रहे थे फिर सांप, बिच्छू, हाथी, भालू, चूहा, शेर जैसी उपमाएं दी जाने लगी अब मामला कुत्ते तक पहुंच गया है लेकिन कुत्ते का ये अपमान अपने को सहन नहीं होता, क्योंकि कुत्ता तो ‘वफ़ादारी’ का ‘सिम्बॉल’ माना जाता है अपने मालिक को लाखों लोगों के बीच में भी पहचान लेता है,
जिंदगी भर एक ही मालिक का वफादार बना रहता है लेकिन यहां तो कौन अपना मालिक बदल ले कोई कह नहीं सकता, कल तक जिनको पानी पी पीकर कोस रहे थे ये नेताजी, आज उनकी तारीफ में कसीदे कढ़े जा रहे हैं, कल तक जिनके हाथ ‘खून से रंगे’ बताये जा रहे थे आज उन्ही हाथों को ‘चूम चूम’ कर उनके लिये वोट मांग रहे हैं, कल तक जिन्हें ‘किसानो का हत्यारा’ बताया जा रहा था आज उन्हें ‘किसानो का मसीहा’ बताया जा रहा हैं अपने हिसाब से तो ‘कुत्ते’ का ‘केरेक्टर’ तो ऐसा नहीं होता, वो तो मरते दम तक एक ही मालिक के साथ रहता है इसलिए कुत्ते की बेइज्जती न करें नेता, भले हे एक दूसरे को लकड़बघ्घा कह दें, चीता कह दें, मेंढक कह दें, पटार कह दें, छिपकली के नाम से पुकार लें, झींगुर काक्रोच, केंचुआ, घोंघा, मगरमच्छ, दरियाई घोडा सब कुछ कह लें पर ‘कुत्ते’ से परिभाषित न करें यही आप लोगों से इल्तजा है l
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
‘आपके देश में मृत्यु की दर कितनी है’ एक विदेशी ने श्रीमान जी से पूछा
‘शत प्रतिशत’ श्रीमान जी नेबताया
‘कैसे’ विदेशी ने आश्चर्य से पूछा
‘यंहा हर मनुष्य जो पैदा होता है अंत में मर जाता है’ श्रीमान जी का उत्तर था