हमें भूखे-नंगे नहीं… मालदार राजनेता चाहिए ..!

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By Shivani RathorePublished On: October 14, 2020

भूखा क्या करेगा… जायज है, सबसे पहले अपना पेट भरेगा… देश में जितने भी गरीब राजनेता हुए हैं उनमें से 90 फीसदी से अधिक बाद में सबसे बड़े भ्रष्टाचारी निकले और अपने साथ पूरे कुनबे की कई पीढिय़ों के लिए तिजोरियां भर ली… भरे पेट वाला पद मिलते ही पैसा कमाने टूट भी नही पड़ेगा…. देश में आजादी के बाद से गरीब, किसान, दलित, आदिवासी और जवानों के नाम पर सबसे अधिक राजनीति की गई और इनसे जुड़े नेताओं ने भरपूर सत्ता का दोहन करते हुए माल बटोरा…

दलित राजनीति के नाम पर जितने भी नेता देश में हुए वे सब करोड़ों-अरबों के मालिक हैं और दलित पहले की तरह हाशिए पर ही है… यही स्थिति जवान-किसान से लेकर आदिवासी या अन्य तबके की राजनीति करने वालों की रही है… सबने पहले अपना पेट भरपल्ले भरा है और अरबपति बन गरीबों के लिए घड़ियाली आंसू बहाते रहते है ..इसलिए शिवराज जी, ये भूखे, नंगे और गरीब होने की नौटंकी छोड़ो, पब्लिक इतनी मूर्ख नहीं है… सब जानती है…

एक गली का पार्षद ही 5 साल में साइकिल से 25 लाख की लग्जरी गाड़ी-महंगे बंगले में शिफ्ट हो जाता है और लाखों-करोड़ों कमा लेता है, तो आप 14 साल प्रदेश के मुखिया रहे हो…मेरा तो मानना है कि देश को गरीबों की नहीं, मालदार राजनेताओं की जरूरत है, ताकि वह पहले अपनी गरीबी दूर करने की बजाय जनता की करने में रुचि ले…उदाहरण के लिए कांग्रेस से भाजपा में आए सिंधिया जी के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अब ये कहना शुरू कर दिया कि उन्हें भ्रष्टाचार करने की जरूरत क्या है, वे तो पहले से ही करोड़ों-अरबों की सम्पत्तियों के मालिक हैं…

जब तक देश की राजनीति में पढ़े-लिखे, सम्पन्न- सक्षम यानी मालदार लोग नहीं आएंगे, तब तक हमारे गली-मोहल्ले के तथाकथित गरीब पार्षदों से लेकर मंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेता मालमाल होते रहेंगे…इसलिए है जनता-जनार्दन कोई नेता-मंत्री खुद को गरीब बताने की नौटंकी करें तो पेट पकड़ कर जोर जोर से हंस लेना , भरोसा तो वैसे भी करोगे नही …जय श्रीराम …! @ राजेश ज्वेल