साहित्य का रचा जाना आवश्यक है जीवन मूल्यों के लिए, लेखिका मीनाक्षी जोशी ने कहा

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By Pirulal KumbhkaarPublished On: December 29, 2021
अखिल भारतीय महिला साहित्य समागम ने आज दोपहर के सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रसिद्ध लेखिका डॉ मीनाक्षी जोशी ने कहा जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए साहित्य का रचा जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पुरुष का प्रकृति से क्या संबंध है इसको गीता समझाती है।
उल्लेखनीय है कि इंदौर के जाल सभागृह में दो दिवसीय महिला साहित्य समागम(two-day women’s literature conference) का आयोजन हो रहा है जिसे Ghamasan.com, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद तथा वामा साहित्य मंच द्वारा आयोजित किया जा रहा है। मीनाक्षी जोशी ने कहा कि जब हमारा जन्म होता है, तभी हम मृत्यु का वरण कर लेते हैं।

 

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मनुष्य की मृत्यु का आभास हो जाता है। उन्होंने कहा कि मृत्यु के समय हमारी कामना ही अगले जन्म का कारण बनती है । डॉ जोशी ने कहा कि पूर्व जन्मों के संचित कर्मों का जो कारण होता है वही अगले जन्म में भाग्य निर्मित करता है । भीष्म पितामह ने शय्या पर 21 जन्मों का अनुभव कर लिया था उन्होंने सोचा कि आखिर किस पाप के होने से ऐसा कर्म फल मिला है ।

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कार्यक्रम में इस प्रश्न का उत्तर देते हुए साहित्य अकादमी के निदेशक श्री विकास दवे ने कहा कि गीता की टीका ओशो ने सबसे अच्छी की है जिसे सभी को पढ़ना चाहिए । मां के कारण ईश्वर पृथ्वी पर आए हैं इसलिए मां की महत्ता सर्वोपरि है।